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आसान नहीं हैं, किसी के साथ जीना - Vivek Prajapati (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

आसान नहीं हैं, किसी के साथ जीना

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  • 3 Min Read

आसान नहीं है, किसी के साथ जीना...

खामोशी से बिखरना आ गया है,
हमें अब खुद उजड़ना आ गया है।।

किसी को बेवफा कहते नहीं हम,
हमें भी अब बदलना आ गया है।।

किसी की याद में रोते नहीं हम,
हमें चुपचाप जलना आ गया है।।

यादों को तुम अपने पास ही रखो,
हमें परायों से भी छिपना आ गया है।।

ये दिल बहुत रोता हैं, किसी न किसी के लिए,
पर ये दिल को संभलना आ गया हैं।।

चुप चाप सा देखता हूं, हर किसी को,
फिर भी यादों को छिपाएं रखना आ गया हैं।
🌹🌹🌹🌹🌹

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