कविताअतुकांत कविता
आसान नहीं है, किसी के साथ जीना...
खामोशी से बिखरना आ गया है,
हमें अब खुद उजड़ना आ गया है।।
किसी को बेवफा कहते नहीं हम,
हमें भी अब बदलना आ गया है।।
किसी की याद में रोते नहीं हम,
हमें चुपचाप जलना आ गया है।।
यादों को तुम अपने पास ही रखो,
हमें परायों से भी छिपना आ गया है।।
ये दिल बहुत रोता हैं, किसी न किसी के लिए,
पर ये दिल को संभलना आ गया हैं।।
चुप चाप सा देखता हूं, हर किसी को,
फिर भी यादों को छिपाएं रखना आ गया हैं।
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