कविताअतुकांत कविता
*अनमोल धागे*
कहने को ये हैं मात्र धागे
रेशम सूत या जूट के
पर हैं बड़े अनमोल
बाँध देते हैं पोटली में
सारे शिकवे शिकायतें
नेह की सुई के साथ मिल
कर देते हैं रफ़ू या तुरपाई
सुना है दादी नानी से
फ़टे हुए को सिल लो
और रूठे को मनालो
शुभ मौली भी एक धागा है
हर पावन कर्म में यह
बाँधा जाता है कलाई पर
मन्नत की मंत्रित मौली भी
संबल बन जाती संकटों में
करे एक्यूप्रेशर का काम भी
परस्पर नेह के प्रतीक ये धागे
पिरो देते हैं रिश्ते नातों को
रंगबिरंगे मोतियों की तरह
बना देते एक सुंदर माला
बीच बीच में ना हो गाँठें
फाँसले लाते दूरियाँ रिश्तों में
राखियाँ बनती हैं धागों से
इन्हीं पर जड़े जाते हैं
मोती नग चाँद सितारे
खीमखाब कशीदेकारियाँ
फूल पत्तियाँ मन माफ़िक़
बन जाती मनोहारी राखियाँ
पांचाली को चीर बढाया कृष्ण ने
हुमायूँ बने सहायक कर्णावती के
एलेक्जेंडर प्रिया की पुकार पर
पुरु ने मर्यादाएँ निभाई
दो सिरे धागों के जुड़कर
जोड़ देते कई बिछड़ों को
ये हैं वचन निभाने के संधिपत्र
प्रतिवर्ष बाँधकर ये सूत्र बहनें
भाइयों को याद दिलाती वचन
दूर रहो सदा पाँच विकारों से
सजालो ख़ुद को सद्गुणों से
लुटाओ प्यार, भूलो नहीं संस्कार
स्वरचित
सरला मेहता
इंदौर