कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" वो कौन है" 💐💐
"ओ! वो कौन है.. इतनी खूबसूरत बला सी ?" मिसेज मेहरा अपनी उत्सुकता रोक नहीं सकीं।
"खूबसूरत और बदतमीज भी! देख कैसी बेशर्म, बेहया सी नाच रही है अकेली मर्दों
के बीच " मिसेज बंसल जलती-भुनती सी बोली।
"पहले कभी देखा नहीं"
"हाँ मैंने भी नहीं "
दुबली-पतली कंचन सी काया पर हद से ज्यादा लो कट गले और कटी बांह के लाल रंग के झीने गॉउन में सजी युवती जिसके शरीर के प्रत्येक कोण से उष्मा की तरंग छिटक रही है।
जहाँ एक ओर लगभग सभी पुरुषों के आकर्षण का केन्द्र वंही महिलाओं की नजरों में ईर्ष्या की तीव्रता।
हॉल के ठीक बीचमें अपने-आप में खोई मदहोश सी थिरकती- नाचती उस युवती को देख चारो तरफ फुसफुसाहटों का बाजार गर्मा रहा है।
टॉउन क्लब में साल के अन्तिम दिन की पार्टी चल रही है। शहर के लगभग सभी नामी-गिरामी हस्तियां जमा हैं।
संगीत जो़रो की उठान पर है। सभी जोड़े हांथों में हाथ डाले बदमस्त हुए जा रहे ...
तभी बारह के घंटा बज उठने पर
हॉल की बत्तियां एक क्षण के लिए ऑफ कर दी गईं।
चारो ओर शोर-गुल फैल गया कि तब तक दोबारा लाइट आ गयी। हर किसी ने गौर किया वो युवती दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे गायब हुई मानों कोई बुरा सपना...
सबों ने खास कर महिलाओं ने राहत की सांस ली।
बाहर गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज आई।
जब तक चौकीदार आता तीव्र गति से भागती हुई गाड़ी गेट से निकल चुकी थी।
ड्राइविंग सीट पर बैठे २४ बर्षीय 'प्रणय' पसीने से तरबतर हो कपड़े खोल-खोल कर फेंक रहा है।
पिछले कुछ महीनों से प्रणय ने खुद में अजीबोगरीब परिवर्तन महसूस किए हैं।
उसने अपने बाल बढ़ा लिए हैं, माथे पर जूड़ा बांधने लगा है और खुद को शरमाया, घबराया सा महसूस करने लगा है लड़कों को देख कर झेंप जाता हैं।
खुद को 'कृष्णकली' कहने लगा है।
उसने स्टेयरिंग के उपर लगे शीशे में अपनी शक्ल देखी फिर अजीब-अजीब सी भंगिमा बना कर खुदको निहारता रहा, मुग्ध होता रहा।
"यह कैसा अद्भुत, विचित्र परिवर्तन आ रहा है मुझमें "
"कितना सुखद अथवा हैरतअंगेज है यह परिवर्तन? "
खुद ही नहीं समझ पा रहा है उसने अपना फोन उठाया और उलट-पलट कर जस्ट डॉयल में डॉक्टर का नम्बर ढूंढंने में लग गया है।
सीमा वर्मा /स्वरचित