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कच्चे रास्ते (भाग २२) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग २२) साप्ताहिक धारावाहिक

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रात को ऑफिस से छूटने के बाद काव्या केब में न जाकर अनय के साथ उसकी बाइक पर घर जाने को निकली । अनय की उपस्थिति में हमेशा मुस्कुराती और बातें करती रहने वाली काव्या आज चुपचाप अनय के पीछे बाइक पर बैठी थी । अनय को उसका इस तरह से चुप बैठे रहना अखर रहा था । वो भी इस समय बाइक हाइवे से गुजरते हुए भी फुल स्पीड में न चलाकर धीमे जा रहा था । उसने काव्या से बातों का सिलसिला शुरू करते हुए पूछा, “अब आगे क्या सोचा है काव्या ?”

काव्या जैसे किसी और विचारों में खोई हुई थी । उसने अनय का सवाल सुनकर पूछा, “किस बारे में ?”

“किस बारे में ? मतलब अपने बारे में ।” जवाब देते हुए अनय ने बाइक के कांच से काव्या का चेहरा देखने की कोशिश की । काव्या अनय के कंधे पर अपना सिर टिकाकर इत्मिनान से बैठी हुई थी ।

काव्या अपने बारें में थोड़ा बहुत प्लान कर चुकी थी । वो अनय के सवाल का जवाब देते हुए बोली, “रेंट एग्रीमेंट अगले महीने पूरा हो रहा है । मामा जी भी अब मुझे अकेले रहने के लिए बार बार मना कर रहे है तो अगले महीने अनिकेत की परीक्षा के बाद वहीं शिफ्ट हो जाऊँगी ।”

अनय काव्या के जवाब से खुश नहीं था । वो कुछ और चाह रहा था । उसने अपना प्रस्ताव रखते हुए काव्या से कहा, “काव्या, ये नई शुरुआत है और तुम इसकी शुरुआत मेरे घर से भी तो कर सकती हो ?”

काव्या अभी भी अनय के साथ लिव इन में रहने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी । उसने अनय को मना करते हुए कहा, “नहीं अनय । ये अभी से ठीक नहीं होगा...अब तो मामा जी को भी मानना होगा ।”

अनय को लग ही रहा था कि काव्या कुछ इसी तरह का जवाब देगी। अनय अपने जवाब के साथ तैयार था । वो बोला, “राजीव अंकल मुझे तो खुले दिल के लगे । मुझे नहीं लगता कि उन्हें हमारे इस निर्णय से कोई तकलीफ होगी पर तुम्हारी मामी थोड़े पुराने विचारों की लगती है।”

इस पर काव्या ने अनय के कंधे से अपना सिर हटा लिया और बोली, “इण्डिया में इंसान कितना भी खुले दिल का हो लेकिन लिव इन का नाम सुनकर हर किसी के कान खड़े हो जाते है । इसे हमारे ट्रेडिशन में अच्छा नहीं माना जाता ।”

अनय अब काव्या को समझाने लगा, “समय के साथ बहुत कुछ बदलता है काव्या ... few years back India में लड़के और लड़की एक दूसरे को देखे बिना शादी कर लेते थे । फिर समय आगे बढ़ा और सगाई के बाद लड़के और लड़की साथ साथ घूमने लगे । अब समय और आगे बढ़ रहा है तो समय के साथ चलने में ही समझदारी है।”

अनय की बात सुनकर काव्या अचानक से उदास हो गई । उसकी आँखों के आगे शालिनी का चेहरा तैर गया । वो उदासी भरी आवाज में कुछ विचार करते हुए बोली, “हर बात में एडवांस नहीं बना जा सकता अनय । कुछ बातों में पीछे बने रहना ही ठीक होता है।”

अनय काव्या की आवाज में समाई हुई उदासी को महसूस कर रहा था । उसने काव्या की बात का जवाब देते हुए कहा, “ये तुम्हारी सोच है । वैसे तुम अचानक से उदास क्यों हो गई ?”

“नहीं कुछ नहीं । बस ऐसे ही ...” काँपती हुई आवाज में काव्या ने जवाब दिया तो अनय ने स्ट्रीट लाइट के खंबे के पास बाइक रोककर पीछे मुड़कर काव्या को देखा ।

“तुम रो रही हो काव्या ? उतरो बाइक से ..” अनय के कहने पर काव्या बाइक से उतरकर साइड पर खड़ी हो गई । अनय बाइक साइड स्टैंड पर लगाकर उसके पास खड़ा हो गया ।

“मेरी कौन सी बात का बुरा लग गया तुम्हें ?” अनय ने पूछा ।

इस पर काव्या ने जवाब दिया, “नहीं कुछ नहीं ... मम्मी की याद आ गई।”

अनय अब काव्या के नजदीक आकर बोला, “काव्या ... बीते हुए को भुलाकर आगे बढ़ने में ही समझदारी है।”

काव्या की आँखें अब गीली हो गई ।

“जानती हूँ लेकिन उनके इस तरह जाने की जो वजह रही है ..... कहीं हम भी तो उसी रास्ते पर नहीं जा रहे है अनय ?”

अनय अपने फैसले पर अब भी अडिग था । उसने जवाब दिया, “बिल्कुल नहीं काव्या । आंटी ने उनकी जरूरतों को स्वीकार कर अगर सही समय पर बोल्ड डिसीजन ले लिया होता तो आज वो खुशी से अपनी जिन्दगी जी रही होती । इसीलिए तुमसे भी कह रहा हूँ कि जिन्दगी में स्वीकार करना सीखो । लिव इन कोई बुरा रिलेशन नहीं है । चोरी चुपके कुछ करने से तो अच्छा ही है ।”

अनय की बात का काव्या कोई जवाब नहीं दे पाई । उसने इस वक्त अपने चेहरे पर लुढ़क रही आँसुओं की बूंदों को पोंछने के लिए रुमाल निकालने के लिए पर्स में हाथ डाला । तभी अनय ने आगे बढ़कर अपनी हथेली से उसके आँसू पोंछ डाले और बोला, “ये आँसू बेशकीमती है । इन्हें खुशियों के पलों में चमककर बहने के लिए जमाकर रखो । आँसू खुशियों वाले ही अच्छे लगते है।”

अनय की बात सुनकर काव्या ने उसके चेहरे की तरफ देखा तो अनय ने उसे एक प्यारी सी मुस्कान दे दी ।

काव्या कुछ देर चुप रही और फिर बोली, “मैं स्वीकार करती हूँ कि मेरी मम्मी की कुछ मजबूरियाँ रही होंगी लेकिन आज हम दोनों के सामने तो किसी भी तरह की कोई मजबूरी नहीं है जो तुम लिव इन रिलेशन पर जोर दे रहे हो। तुम मुझे जानते हो , मैं तुम्हें अच्छी तरह से जानती हूँ और हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते है तो शादी कर परिवार बसा लेने में क्यों तकलीफ हो रही है तुम्हें अनय ?”

काव्या की बात सुनकर अनय ने गौर से उसके चेहरे पर उठ रहे भावों को महसूस करते हुए उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, “काव्या, तुम नहीं समझ पाओगी । तुम्हारी न हो पर मेरी तो कुछ मजबूरी हो सकती है अभी शादी न करने की। जो कुछ मैंने अपनी मम्मी और डैड के रिलेशन में देखा उससे शादी जैसे बंधन से मुझे डर लगता है । शादी कर लो फिर न बनी तो भी रिश्तों को न चाहकर भी निभाते रहो । शादी कर लेने के बाद इंसान की सोच सीमित हो जाती है और वो एक दूसरे का उपयोग करना शुरू कर भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करना शुरू कर देते है ।”

अनय का जवाब सुनकर काव्या तो पहले हैरान हो गई । वो कुछ देर तक अनय की आँखों में देखते हुए उसकी अभी कही बात को समझने की कोशिश कर रही थी । थोड़ी देर चुप रहने के बाद वो धीरे से बोली, “जिन्दगी में हुए एक गलत अनुभव से पूरी जिन्दगी का एक महत्वपूर्ण डिसीजन बदल लेना कोई समझदारी नहीं है अनय । तुमने अपने मम्मी पापा की जिन्दगी में जो कुछ देखा और अनुभव किया वो जिन्दगी का एक पहलू था लेकिन उसका दूसरा पहलू भी तो देखो कि अलग होने के बाद अपने-अपने नए लाइफ पार्टनर के साथ वो खुश है । और तुम्हारी कौन सी मजबूरी है शादी न करने की जो मैं नहीं देख पा रही हूँ ?”

“काव्या, ये बात तुम्हें मैं अभी नहीं समझा सकता । अभी के लिए अच्छा यही होगा कि हम अपना अपना पास्ट पीछे छोड़कर आगे बढ़े।” कहते हुए अनय ने एक मुस्कान दी ।

अनय का चेहरा स्ट्रीट लाइट के लैंप की रोशनी में दमक रहा था और मुस्कान करते हुए उसके चेहरे पर गड्डे पड़ रहे थे । काव्या आगे बढ़कर अनय से लिपट गई ।

तभी अनय ने काव्या को अपने से अलग करते हुए कहा, “काव्या, This is not right time and place to hug.”

“चलो” काव्या ने अपने आपको सम्हाला और कहा । अनय ने बाइक स्टार्ट करते हुए काव्या से शरारती अंदाज में पूछा, “कहाँ ? मेरे फ्लैट पर या तुम्हारे फ्लैट पर ?”

अनय की बात पर काव्या अब हँस दी, “बहुत शरारती हो गए हो । ले चलो जहाँ ले जाने की तुम्हारी मर्जी हो।”

अनय ने बाइक आगे बढ़ा दी और हँसकर बोला, “सोच लो फिर कहना मत कि पूछा नहीं।”

काव्या ने अपने दोनों हाथों से अनय की छाती को जकड़ लिया और अपना सिर उसके कंधे पर टिकाकर बड़े ही प्यार से कहा, “मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।”

अनय ने अब काव्या को छेड़ा, “और अगर तुम्हारा ये भरोसा सम्हाल नहीं पाया तो ?”

“ऐसा करोगे तो मर जाऊँगी ।” कहते हुए काव्या ने अपनी आँखें बंद कर ली ।

अनय थोड़ा पीछे की तरफ झुका और काव्या के उड़ते हुए बालों से आती खुशबु को अनुभव करते हुए बोला, “ऐसा नहीं कहते पगली।”

इसी तरह मीठी मीठी बातें करते हुए अनय ने काव्या को उसके फ्लैट के गेट के पास छोड़ा और फिर खुद अपने फ्लैट की तरफ जाने को रवाना हो गया ।
क्रमश :

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दादी की परी
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