कवितागीत
"हमसफर" 💐💐
कल चले जाएंगे तो याद करोगे मुझको
आज हैं मौजूद तो बेगाने से बने बैठे हो...
तुम अपने अपने से लगते हो मुझे फिर
हमें छोड़ के जाने की कैसे सोचा तुमने।
अगर पराए होते तो यों ही जाने देते
लगती अपनी सी है रुसवाई भी तेरी।
ना शिकवा ना शिकायत है कोई तुझसे
जो भी आंचल में तूने भर दिया साजन।
हम तो बस उस को ही समेटे चले जाएंगे
संग-संग हम भी तेरे नदियां में बहे जाएंगे।
ऐ मेरे रब चाहे जिस भी सांचे में ढ़ाले
मुझको हम बस उसमें ही ढ़ले जाएगें।
सीमा वर्मा