Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
काश बुद्ध सा कुछ कर जाता - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

काश बुद्ध सा कुछ कर जाता

  • 197
  • 6 Min Read

*काश बुद्ध सा कुछ करता*

" घर सम्भालूँ कि नौकरी करूँ,,, बिट्टू के स्कूल की मीटिंग में अलग जाना है " सुमेधा बड़बड़ाते हुए अपना व बेटे का टिफ़िन तैयार करती है। रिक्शा से बिट्टू को स्कूल छोड़ते ऑफिस पहुँचती है। पता चला आज भी बॉस ने लेट लगवा दिया है।
चाय की तलब लगने पर याद आया घर में दूध था ही नहीं। बिट्टू को देना जो ज़रूरी था। चाय को भूल फाइलें निपटाते दिमाग़ में विचारों का ज्वारभाटा चलने लगा, " सिद्धार्थ से प्रेम विवाह कर कितने सपने देखे थे। पति के पास काम नहीं होने पर भी दिलासा देकर उसके लेखक बनने के जुनून को हमेशा सराहा। हाथ खर्चा देती रही इस आशा में कि सब ठीक होगा। किन्तु एक रात वह सब को सोता हुआ छोड़कर अनजानी राह पर चला गया। "
काम निपटाते वह उदास हो जाती है। तभी एक मित्र का फोन आता है, "सुमेधा, संयत होकर धैर्य से मेरी बात सुनना। पता चला है कि सिद्धार्थ लंदन में है। उसकी परिचिता सनाया वहाँ पुस्तक प्रकाशन के साथ पत्रकारिता भी करती है। सिद्धार्थ उसके साथ काम करता है। वह जल्द ही उससे शादी करने वाला है, हेलो हेलो,,,।"
सुनीता फोन पटक कर सोचती है, " अगर यूँ जाना ही था तो बुद्ध सा कोई आदर्श काम कर बताता। मुझे कोई शिकायत नहीं होती। "
सरला मेहता

logo.jpeg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

अत्यंत सुन्दर और मर्मस्पर्शी रचना..!!

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG