कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
" धनतेरस की रात",💐💐
मन-प्रफुल्लित, तन- प्रफुल्लित
आज धनतेरस की रात अनूठी।
मन में है एक झांकती आशा
महिलाएं सजाती थाली में दीपक
अक्षत, पुष्प माला सजाकर।
हे प्रभु अब और ना ले परीक्षा
कृपा ,करुणा की दया बरसा दे।
लगती है और खनकती कोयल
की कुहू-कुहू पहले से भी ज्यादा
बस यों ही लगती रहे, मन-प्राण
में भर दे ताजी हवा सी खुशबू।।
जगमग दीये की उजली रोशनी
सा चमचमा दे हर एक का जीवन
सीमा वर्मा 💐💐