Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
हे सहचरी क्षमा करना - Rajesh Kr. verma Mridul (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

हे सहचरी क्षमा करना

  • 150
  • 4 Min Read

हे सहचरी! मुझे क्षमा करना।
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
हे प्रिय! तुझे ना कह पाया !
गृहस्थ धर्म ना निभा पाया!!

माना हृदय विचलित होगा!
मन भाव से कुंठित होगा !!

करुण विनय ना सुन पाता!
सिद्धि मार्ग से ना हट पाता!!

मैं बचपन से सन्मार्गी था !
मैं हृदय से बड़ा वैरागी था!!

अंतर्मन से मैं विचलित था!
सत्य खोज में निकला था!!

तेरी पतिवर्ता को जाना था !
मुझे ज्ञान केवल्य पाना था!!

हे प्रिय! तुझे ना कह पाया !
गृहस्थ धर्म ना निभा पाया!!

मैं अपना निशानी छोड़ गया!
दिल के टुकड़ों को शोप गया!!

तु अपनी ममतत्व भी करना!
पर पिता का भी छाया रहना!!

तुम गृहस्थ सद् धर्म में रहना!
हे सहचरी! मुझे क्षमा करना!!
_________________________
@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'
शहरपुरा, गिरिडीह (झारखण्ड)

FB_IMG_1633515287712_1633839988.jpg
user-image
Rajesh Kr. verma Mridul

Rajesh Kr. verma Mridul 2 years ago

आप सभी के समक्ष मेरी रचना अवलोकनार्थ हेतु सादर प्रस्तुत कर रहा हूं।🙏🙏

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg