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कच्चे रास्ते (भाग २० ) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग २० ) साप्ताहिक धारावाहिक

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भाग २० कच्चे रास्ते

डिनर ब्रेक में आज फिर से काव्या, रूबी और अनय के बीच बातचीत का विषय समीर ही था । रूबी के बार-बार पूछने पर काव्या ने शुकवार की समीर वाली घटना बता दी । काव्या से सब कुछ सुन लेने के बाद रूबी बोली, “अच्छा हुआ उसने रिजाइन कर दिया । ऐसे एम्प्लाइज को तो ओर्गेनाईजेशन में होना ही नहीं चाहिए ।”

काव्या की बगल में बैठे हुए अनय ने अपने सामने बैठी हुई रूबी की बात सुनकर उसकी इस प्रतिक्रया पर पर अपना मन्तव्य रखा, “काव्या उस दिन सही थी । मुझे भी अब लग रहा है कि उसने शुक्रवार को जो कुछ किया किया उसकी वजह से वो गिल्टी महसूस कर रहा है।”

अनय की बात पर रूबी ने तुरंत ही अपनी प्रतिक्रिया दी, “जो भी हो…काव्या की जिन्दगी से दूर जा रहा है ये महत्वपूर्ण बात है।”

काव्या को इन सब बातों में बिल्कुल भी रस नहीं आ रहा था । उसने कहा, “हम लोग समीर को छोड़कर कुछ और बात कर सकते है ?”

तभी वहाँ समीर हाथ में अपनी खाने की प्लेट लेकर आया और रूबी के पास पड़ी खाली कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए उसने रूबी से पूछा, “क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ ?”
उसकी बात सुनकर रूबी काव्या की तरफ देखकर धीरे से बोली, “बेशरम कहीं का ...” काव्या ने रूबी के होंठों पर हुई हरकत से उसके शब्दों को समझ लिया और आँख के इशारे से रूबी को उसे समीर को मना करने को कहा लेकिन रूबी समीर से कुछ कह पाती इससे पहले वो खुद ही रूबी की बगल में खाली कुर्सी पर बैठते हुए बोला, “बस दो मिनिट में अपनी बात कहकर चला जाऊँगा ।”

काव्या समीर के अपने सामने की कुर्सी पर बैठने से खुद को असहज महसूस करने लगी । रूबी ने समीर के चेहरे पर नजर डाली और फिर उन दोनों की नजरें एक होने पर वो उसे कोई भी प्रतिक्रिया दिए बिना चुपचाप सिर नीचा कर अपना खाना खाने लगी । समीर के वहाँ बैठ जाने से अब उन तीनों के बीच हो रहा बातचीत का सिलसिला थम गया था ।
समीर ने बारी-बारी से उन तीनों की तरफ देखा लेकिन वो तीनों सिर झुकाये चुपचाप अपना खाना खा रहे थे । समीर अच्छी तरह से समझ चुका था कि रूबी, अनय और काव्या में से किसी को भी उसका उनके साथ बैठना पसंद नहीं आया ।

कुछ देर चुप रहने के बाद समीर ने चुप्पी तोड़ते हुए काव्या की तरफ देखते हुए कहा, “मैं समझ पा रहा हूँ कि तुममे से किसी को भी मेरा यहाँ बैठना पसंद नहीं आया लेकिन ज्यादा देर तुम लोगों को मुझे सहन नहीं करना पड़ेगा ।”

समीर के बोलने पर अब भी अनय, काव्या और रूबी चुपचाप एक दूसरे को देखते हुए अपना खाना खा रहे थे ।

समीर ने उनकी परवाह न करते हुए आगे बोलते हुए कहा, “उस घटना के बाद मैं माफ़ी माँगने के लायक भी नहीं हूँ लेकिन मैं इतना बेशरम भी नहीं हूँ कि अपनी गलती महसूस होने पर उसका प्रायश्चित भी न करूँ ।”

अब रूबी की नजर समीर के चेहरे पर आगे की बात जानने को टिक गई लेकिन काव्या ने तो उससे अब कोई उम्मीद ही छोड़ दी थी ।

“अच्छा ! इतने सभ्य कब से बन गए या फिर कोई नया नाटक करने वाले हो ?” रूबी ने समीर को ताना मारते हुए पूछा ।

रूबी की बात सुनकर समीर ने एक फीकी सी मुस्कान दी और बोला, “अब नाटक करके क्या करूँगा ? मेरी खुद की जिन्दगी ही एक नाटक बनकर रह गई है।”

रूबी अपनी आदत के अनुसार समीर की फिरकी लेने के मूड में आ गई थी । उसने समीर की तरफ देखा और अफसोस जताते हुए बोली, “रियली ! खुलकर बताओ न समीर क्या नया हुआ तुम्हारी जिन्दगी में ?”

समीर रूबी के बोलने के टोन से समझ गया था कि वो उसे गंभीरता से नहीं ले रही है ।

“मैं जा रहा हूँ यहाँ से हमेशा के लिए । मैंने अपना रेजिग्नेशन रख दिया है।” अपनी आगे की बात कहते हुए रूबी की बात पर ध्यान ने देते हुए वो काव्या के चेहरे के भाव पढ़ने लगा ।
उसकी अपेक्षा के विपरीत जब काव्या ने उसकी बात सुनकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो उसने बारी-बारी से अनय और रूबी की तरफ देखा । किसी से कोई प्रतिक्रिया न पाकर समीर से अनय से कहा, “अनय, मुझे माफ कर सको तो माफ कर देना। उस दिन मैं न जाने क्या करने जा रहा था । I”

अनय ने उसकी तरफ देखा लेकिन उसने इस वक्त अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । अब समीर ने काव्या से कहा, “काव्या, सम्भव हो सके तो एक बुरा दोस्त मानकर ही सही अपने दिल में मेरे लिए थोड़ी सी जगह बनायें रखना । शायद कल ही मेरा लास्ट वर्किंग डे होगा ।”

समीर की लास्ट डे वाली बात अब तीनों के लिए आश्चर्यजनक थी । लेकिन फिर भी तीनों से अब भी उसकी इस बात पर किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी ।

“मुझे बस यही कहना था।” किसी से कोई जवाब न पाकर समीर अपनी बात कहकर वहाँ से उठकर जाने लगा । अनय ने उसे जाते हुए देखकर कहा, “अपना ध्यान रखना । आल द बेस्ट ।”

“थैंक्स ।” भारी आवाज में समीर ने जवाब दिया और वहाँ से जाने को आगे की तरफ मुड़ा । तभी वहाँ से गुजर रहे जाकिर ने पीछे से समीर के कंधे पर अपना बायाँ हाथ रखा । उसके सीधे हाथ में खाने की प्लेट थी । वो अनय को समीर को आल द बेस्ट कहते हुए सुन चुका था इसी से उसने समीर से पूछा, “किस बात की खुशियाँ बाँटी जा रही है भाई ? भले ही हम थोड़े ही दिन के मेहमान है पर हमें भी तो इस वक्त अपनी खुशियों में शरीक करो।”

समीर कुछ कहने जा ही रहा था कि रूबी ने जानबूझकर थोड़ी ऊँची आवाज में कहा, “जाकिर समीर ने रिजाइन कर दिया है और शायद कल उसका लास्ट वर्किंग डे है । तुमसे पहले चला जाएगा हमसब से बहुत दूर ।”

समीर को रूबी का बोलने का अंदाज बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा लेकिन अब तक वो एक बात अच्छी तरह से महसूस कर चुका था कि उसके रिजाइन कर देने से रूबी को बहुत खुशी हो रही थी । काव्या और अनय के बारें में वो अब भी अपनी धारणा नहीं बना पा रहा था ।

रूबी की बात सुनकर जाकिर के चेहरे पर अब अचरज के भाव थे ।

“क्या !!!??”

रूबी की आवाज इतनी तेज थी कि उसकी कही बात आसपास बैठे कलीग्स ने भी सुन ली । रूबी की बात जिसने भी सुनी वो सब भी चौंक गए । उनमें समीर के कुछ शुभचिंतक समीर को घेर कर खड़े हो गए । समीर के कानों में अब बहुत से सवाल टकराने लगे ।

“समीर ? अचानक से क्या हुआ ?”

“कोई अच्छी जॉब ऑफर हाथ लग गई क्या ?”

“कौन सी कम्पनी ज्वाइन कर रहे हो ?”

“लगता है तगड़ी सैलरी ऑफर हुई है जो फौरन ही छू हो रहे हो।”

अब तक समीर को घेरकर छह सात कलीग्स उसके आसपास खड़े हो गए थे । समीर के पास इस वक्त किसी के भी किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं था । वो हतप्रद सा खड़ा चुपचाप खड़ा था । तभी अचानक से रूबी अपनी जगह से खड़ी होकर उन सबके बीच आकर खड़ी हो गई । समीर रूबी की हरकत को समझ पाता इससे पहले ही वो उठ रहे सारे सवालों का जवाब देते हुए कहने लगी, “फालतू के सवाल कर क्यों समीर को परेशान कर रहे हो यार तुम लोग ?”

समीर को एक पल को लगा रूबी उसे इस वक्त सपोर्ट कर रही है लेकिन अगले ही पल उसकी अपेक्षा के विपरीत रूबी ने आगे बोलना शुरू किया, “समीर हमारी कम्पनी का शायद बहुत ही काबिल एम्पलाई रहा है । हमें समीर का फेयरवेल अच्छी तरह से करना चाहिए । तो दोस्तों अब फालतू की बातों में न पड़ते हुए समीर के फेयरवेल की तैयारियाँ
शुरू करो...उसके पास वक्त बहुत कम है । फेयरवेल इतना अच्छा होना चाहिए कि समीर हम लोगों को कभी भूल ही न पायें।”
समीर को रूबी का ऐसा कहना बिल्कुल भी पसंद नहीं आया । रूबी ने अब उसकी तरफ देखकर एक रहस्य से भरी मुस्कुराहट दी और वापस अपनी जगह पर जाकर बैठ गई ।
समीर के पास इक्कठे हुए सारे कलीग्स उससे हाथ मिलाकर उसे आल द बेस्ट कहकर वहाँ से चले गए । समीर अब ज्यादा देर कैंटीन में नहीं रुक सका । उसने प्लेट में रखा
हुआ सारा खाना डस्टबिन में डाल दिया और वाश बेसिन में अपने हाथ धोकर तुंरत ही कैंटीन से बाहर चला गया ।

“चलो ! बला टली।” रूबी ने समीर को कैंटीन से बाहर जाते हुए देखकर एक लम्बी साँस छोड़ते हुए कहा ।

शेष अगले हफ्ते

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दादी की परी
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