कहानीलघुकथा
बालमन साहित्य के अंतर्गत लघुकथा...
#शीर्षक
"फ्रेंडशिप-डे"
"मिनी, ओ मिनी... उठ ना आज स्कूल नहीं जाना है क्या तुम्हें?"
"नहीं ना दादी, आपको पता नहीं आज हौलीडे है"।
"अच्छा किस बात की छुट्टी है आज ?"
अपनी दोनों बांहें दादी के गले में बांध कर मिनी प्यार से बोल उठी,
" हैप्पी 'फ्रेंडशिप डे' की दादी, दादी मेरी सबसे ओल्ड लेकिन गोल्ड वाली फ्रेंड हो आप"
अपनी छोटी-छोटी आंखें चौड़ी कर दादी पूछ बैठी,
"अब यह फ्रेंडशिप डे क्या होता है मिनी?"
"ओ... दादी...आज मैं अपनी दोस्तों के घर जाऊंगी, साथ घूम-फिर कर एन्जॉय करूंगी"
"लेकिन मैंने तो ऐसे किसी त्योहार के बारे में तो नहीं सुना है।"
मिनी को मुम्बई आए हुए कुछ दिन बीत गये हैं। अब उसे यहाँ की आबोहवा रास आने लगी है। बीच में दादी भी उसके पास रहने के लिए आ जाती हैं।
"अच्छा दादी ये बत़ाएं आपकी भी तो दोस्त होगीं।"
"हाँ , हैं तो सही।"
फिर आप उनसे अक्सर बातें भी करती होगी"
" करती तो नहीं हूँ पर सबको मिस कर के उदास हो जाती हूँ "
"इसलिए तो बता रही हूँ। जब बातें नहीं करोगी तो मिस तो करोगी ही ना?"
"मिनी तू इतनी होशियार कब से हो गई रे? "
दादी तो जैसे पलक झपकाना ही भूल गई।
"मेरी प्यारी दादी आप क्यों नहीं सोशल मीडिया इस्तेमाल करती हो"
"अब यह क्या बला है बिट्टो रानी?"
खिलखिला पड़ी मिनी, बेड पर आराम से बैठ जोर से आवाज दे बोली,
" ममा आज मेरे सारे दूसरे प्रोग्राम कैंसिल,
"क्यों भला? मैं भी तो सुनू"
"आज का मेरा 'वन ऐन्ड ओनली' प्रोग्राम दादी को उनकी फ्रेंड्स से बातें करवाना और सोशल मीडिया से परिचित करवाना है?"
" क्यों ममा सही सोचा है ना मैंने ?"
" बिल्कुल सही " और उन्होंने घर घर में ही रखे एक दूसरे फोन दादी कको दे दिए। दादी बहुत खुश हो गई। लेकिन,
"मिनी मैं इसे चलाना नहीं जानती "
"ओ मेरी दादी , मेरी बेस्ट फ्रेंड आप क्यूँ चिंता कर रही हो ?
" मैं हूँ ना " कहती मिनी ने दादी के गाल पर किस्सी दे दी।
दादी भी खुश ,रानी बिटिया भी खुश...।
स्वरचित / सीमा वर्मा