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कविताअतुकांत कविता
मैं दीन तू दानी मैं अधीर तू धीर मैं सुर तू संगीत मैं उत्पत्ति तू सृष्टि मैं निर्बल तू सबल मैं विषम तू सहज मैं जटिल तू सरल मैं लहर तू सजल मैं भाव तू विचार मैं ऊर्जा तू संचार मैं ज्ञान तू प्रसार मैं रागिनी तू राग मैं प्रेम तू प्रकाश मैं तू, तू संसार