Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
महारास - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

महारास

  • 196
  • 3 Min Read

रूठोगे तुम कान्हा तो तुम्हे मनायेंगे
तुम बिन कान्हा अब जी नहीं पाएँगे
पूनम की होगी रात हम तुम रास रचाएंगे
वृन्दावन के कानन में कान्हा रस बस जाऐंगे
जनम जनम की प्रीत के गीत बन जाऐंगे
रोम रोम सबका गाएगा राधा कृष्णा
हम वो सुमधुर स्वरलहर बन जाऐंगे
बजेगा ढोल मृदंग और सतरंगी आँचल लहराएँगे
रीझेंगे सब जब हम रास रचाएंगे
धरा घुमेगी गोल और सब खड़े रह जाऐंगे
नाचेंगे झूम झूम ऐसे की शिव ब्रह्मा भी स्तब्द्ध रह जाऐंगे
ऐसा होगा राधाकृष्ण का अलोकिक मिलन
मुदेंगे जब हो नयन विकल तो संसार सारा पाएँगे

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg