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बिगुल - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

बिगुल

  • 120
  • 2 Min Read

जितना बड़ा युद्ध
करी उतनी बड़ी तैयारी
बिगुल बजा ऐसा
दुश्मन की धरती हिला दी l
दुलहन बन सजी पद्मा जब
जब जौहर की हुई तैयारी
शंख बजा ऐसा अग्नि की सबमे
ज्वाला है भड़का दी l
माझी ने नाव सजाई और
लाल पताका फेरा दी
पतवार चली ऐसे समंदर में
लहरों की सुनामी ला दी l

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