Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
आसमान के पार - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

आसमान के पार

  • 179
  • 3 Min Read

.कितनी अजीब बात है ना
ईश्वर को देखने के लिए
हमेशा ऊपर आसमान को
या.......
आसमान के पार देखने
की कोशिश करते हैं

उत्सुकता होती है
एक खुली खिड़की देख पाने की
या कभी चांद को आसमान के
कैनवस से ज़रा सा
खिसकाकर रास्ता देख पाने की

सूरज की तरफ नहीं देखता
या यूँ कि देखा नहीं जा सकता
उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाता है

नीचे ज़मीन पर ईश्वर
क्यों नहीं हो सकता
जबकि वो अनंत, अथाह
दिन, रात से परे है

ईश्वर का आरंभ और हमारी
सोच का अंत ऊपर ही क्यों
गहरे में कयूँ नहीं....

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg