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फिर देख !!! - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

फिर देख !!!

  • 159
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रख एक सीढ़ी विश्वास की
और आकाश का विस्तार देख
कि इस ज़मीं से भी परे है
एक नया संसार देख
जर्रे जर्रे में है तेरा खुदा
तू रख खुद पे इतना विश्वास
फिर देख !!!

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