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ख्वाइश-ए-जिंदगी - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

ख्वाइश-ए-जिंदगी

  • 173
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काकर पाथर रेत संग
छलनी सी छ्न रही जिंदगी
पाथर पाथर रह गये
उड़ रही रेत बन
ख्वाइश-ए-जिंदगी

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