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आकर्षण - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

आकर्षण

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मेरे नैनों का यू चमकना
टकटकी लगा तुझे तकना
आकर्षन नहीं तो और क्या है?
मेरे बोलो का यू मिठास से भरना
और तेरे कानो से धीरे धीरे उतरना
आकर्षण नहीं तो और क्या है?
मेरे हाथो का यू थिरकना
तेरे समीप आ यू बहकना
आकर्षण नहीं तो और क्या है?
मेरे केशो का यू लहरना
तेरे चेहरे पे जा ठहरना
आकर्षण नहीं तो और क्या है?
मेरे लबों का यू थिरकना
तेरे लबों पे जा बहकना
आकर्षण नहीं तो और क्या है?
मेरे दिल का हर पल यू मचलना
तेरे प्यार पा फिर धक् से धड़कना
आकर्षण नहीं तो और क्या है?
मेरे अश्क़ो का यू टपकना
तेरे दूर जाने पे बहते चलना
आकर्षण नहीं तो और क्या है?
मेरे दर्द का यू थमना
तेरे प्यार को पा पत्थर सा पिघलना
आकर्षण नहीं तो और क्या है?
मेरे बदन का यू महकना
तेरे प्यार में मखमली सा बदलना
आकर्षण नहीं तो और क्या है?
मेरे ख्वाबो का जुगनूओ सा चमकना
तेरे प्यार की ज़मीन पाकर हौले से उतरना
आकर्षण नहीं तो और क्या है?

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