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कच्चे रास्ते (भाग २१ ) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग २१ ) साप्ताहिक धारावाहिक

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कच्चे रास्ते भाग २१
काव्या और अनय बैठे हुए रूबी की हरकत को बड़े ध्यान से देख रहे थे । रूबी के वापस अपनी जगह पर बैठते ही काव्या ने उससे पूछा, “तुमने उसके साथ ऐसा क्यों किया ?”
काव्या के सवाल पर रूबी हँस दी और बोली, “मैं अपनी खुशी नहीं रोक सकी । बड़ा मजा आया उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर ।”

अब अनय ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपना मन्तव्य रखते हुए कहा, “वैसे बन्दे में दम है । इतना कुछ होने बाद भी गट्स है उसमें मिलकर सॉरी कहने का । इसकी जगह कोई और होता तो इसका अहसास होने पर भी केवल अपने फायदे की बात के बारें में ही सोचता ।”

समीर के बारें में अनय का मन्तव्य सुनकर काव्या अब चुप नहीं रह पाई, “तुम तो उस दिन उसके विरोध में थे और अब उसके बारे में तुम्हें पॉजिटिव बातें कर देख मुझे हैरानी हो रही है अनय । तुम्हें पता है कि वो तुम्हारे साथ क्या करने जा रहा था उस दिन... अगर तुम पीछे नहीं हटते तो न जाने क्या हो जाता।”

अनय काव्या की तरफ देखकर मुस्कुरा दिया । उसके इस तरह मुस्कुरा देने से उसके गालों में पड़े गड्डे देखकर काव्या को अच्छा लगा लेकिन उसकी बात से वो असहमत थी ।

काव्या ने आगे कहा, “रहने दो अनय । समीर नहीं सुधर सकता । एक पॉजिटिव विचार आने पर उसके बारें में मैंने भी अपना मन्तव्य बदला था लेकिन क्या हुआ ? मिलने के बाद उसने अपनी असली औकात दिखा ही दी कि वो कितना गिरा हुआ इंसान है।”

अनय ने फौरन काव्या की बात काट दी, “इस बार तुम गलत भी हो सकती हो काव्या ...गिल्टी महसूस कर अपनी जॉब को छोड़कर चले जाना आसान काम नहीं है।”

रूबी ने अब उन दोनों के बीच पड़ते हुए कहा, “जहाँ तक मुझे लग रहा है ये गिल्टी नहीं उसका डर है । यहाँ और रहा तो तुम में से कोई भी उस घटनाक्रम के बारे ऑफिस में शिकायत कर देगा तो बनी बनाई इमेज की चुटकी बजाते ही वाट लग जाएगी ....तो बेहतर ऑप्शन भाग जाओ ।”

अपनी बात कहकर रूबी को हँसते देखकर काव्या ने कहा, “मैं सहमत हूँ रूबी की बात से ।”

अनय अभी भी समीर को लेकर पॉजिटिव था । उन दोनों को समझाते हुए वो बोला, “ऐसा नहीं है । मैंने कहा था ना कि एक तरफा प्यार में पागल इंसान किसी भी हद तक जा सकता है । समीर को भी वो लिमिट क्रोस करने के बाद अपनी गलती महसूस हो गई ।”

“बाय द वे …वो तुमसे बहुत प्यार करता है काव्या..” कुछ देर चुप रहकर आगे कहते हुए अनय काव्या को देखकर फिर से मुस्कुरा दिया ।

मुस्कुराते हुए अनय के गालों पर पड़ रहे गड्डो पर फ़िदा होते हुए काव्या ने कहा, “अनय । तुम्हें ये कहते हुए शर्म आनी चाहिए।”

अनय अब काव्या को चिढ़ाने के मूड में था । वो फिर धीरे से बोला, “शर्म नहीं...मुझे गर्व है कि मेरी प्रेमिका पर जान देने वाला कोई और भी तो है ....बहुत कम प्रेमियों का ऐसा गुड लक होता है।”

जवाब में काव्या ने हल्के से उसकी पीठ पर एक मुक्का मार दिया । रूबी काव्या को उसकी मम्मी वाले घटनाक्रम के बाद फिर से सामान्य होते देखकर मन ही मन मुस्कुरा दी और वहाँ से उठकर जाने लगी ।

उसे खड़े होता देखकर काव्या ने उसे टोका, “अरे ! तू कहाँ जा रही है ? बैठ न ! अभी तो डिनर ब्रेक पूरा होने में वक्त है ।’

रूबी ने काव्या को देखा और फिर अनय की तरफ देखकर एक प्यारी सी मुस्कुराहट देकर बोली, ‘कबाब अच्छी तरह से पक रहा है तो मुझ हड्डी का क्या काम इधर !’

उसकी बात अपर काव्याहँसते हुए काव्या कुछ कहना चाहती थी लेकिन उसके बोलने से पहले अनय रूबी को चिढ़ाते हुए बोला, “यस, वेरी नाइस मिस हड्डी । लेकिन ध्यान रखना अब किसी और के गले में मत फँस जाना ।”

अनय की बात सुनकर रूबी सच में ही चिढ़ गई और वापस अपनी जगह पर बैठते हुए गुस्से से बोली, “तो अब तो बिल्कुल भी नहीं हिलुंगी यहाँ से । एक तो मैं तुम्हें क्म्फोर्ट जोन दे रही थी और तुम हो कि हर वक्त मेरी टांग खींचते रहते हो ।”

रूबी को नाराज होते देखकर काव्या ने उसे और ज्यादा चिढ़ाने के इरादे से अनय को झूठमूठ की डाँट लगाते हुए कहा, “क्या अनय ? तुम्हें शर्म आनी चाहिए । एक अबला नारी की टांग इस तरह सबके सामने खींचते हुए । उसकी टांग कहीं टूट गई तो फिर किसी लंगड़े से शादी करनी पड़ेगी इसे ।”

अनय ने काव्या की बात को सम्हालते हुए रूबी की तरफ देखा और तुरंत ही बोला, “डोन्ट वरी रूबी । तुम्हारी टांग अगर टूट भी गई ना तो मैं शादी कर लूँगा तुमसे ।”

रूबी अभी अनय के इस मजाक पर कुछ react कर पाती इससे पहले काव्या ने अपनी आँखें चौड़ीकर अनय की तरफ देखकर चेतावनी के सुर में कहा, “अनय !”

अनय काव्या के कहने का मतलब समझ गया लेकिन वो अब भी मजाक के पूरे मूड में था । उसने काव्या की हथेली को धीरे से दबाया और बोला, “डोंट वरी काव्या । तुम्हें भी अपने ही साथ रखूँगा । एक मेरे लेफ्ट साइड और एक राईट साइड ... अनय के चमन में दो फूल !”

“शटअप अनय । तुम लड़कों को थोड़ी सी छूट दो तो बेकाबू बनकर कुत्ते जैसी हरकत करने लगते हो। लड़कियों के बारें में इतने सस्ते शब्द यूज करोगे तो तुममें और समीर में
फर्क ही क्या है। हो तो एक ही जेण्डर के ।” अनय के मजाक का बुरा मानते हुए रूबी ने गुस्से से कहा और अपनी जगह से खड़ी हो गई । .

मजाक में कही अपनी बात पर रूबी की खराब प्रतिक्रिया पाकर अनय का हँसता हुआ चेहरा अब फीका पड़ गया था ।

वैसे काव्या को भी अनय का ये मजाक पसंद नहीं आया था लेकिन उसे रूबी की प्रतिक्रिया देखकर लग रहा था कि वो इस वक्त ओवर रिएक्ट कर गई । उसने उसके और अनय के बीच पड़ते हुए रूबी को समझाते हुए कहा, “रूबी, इट्स जस्ट अ जोक ... तुम्हें तो पता है अनय कितना सुलझा हुआ इंसान है ।”

इस पर रूबी अपने गुस्से पर काबू करते हुए बोली, “हाँ यार ! मुझे सब पता है पर मुझे पसंद नहीं आया ।”

रूबी का जवाब सुनकर अनय अपनी जगह से खड़ा हो गया उसकी तरफ देखकर बोला, “सॉरी रूबी । शायद मजाक में मैंने अपनी लिमिट क्रोस कर दी । मुझे ध्यान रखना चाहिए था कि मैं अपोजिट जेण्डर के साथ बैठकर बातें कर रहा हूँ ।”

“इट्स ओके अनय.” रूबी ने अनय के सॉरी का जवाब दिया और चुपचाप वहाँ से चली गई ।

रूबी के जाने के बाद काव्या ने अनय से कहा, “अनय, वैसे तुम्हारा ये मजाक मुझे भी बिल्कुल पसंद नहीं आया । तुम मजाक में भी लड़कियों के बारें ऐसी बातें कैसे कर सकते हो ? लड़कियाँ कोई प्रोडक्ट नहीं है जो यूज एंड थ्रो कर दिया ।”

“सॉरी काव्या । यकीन मानो.. मेरा ऐसा कहने का मतलब बिल्कुल भी नहीं था ।” काव्या को सॉरी कहते हुए अनय महसूस कर रहा था कि उसने मजाक में ही कितनी लड़कियों को लेकर कितनी गलत कमेन्ट कर दी ।

काव्या अपने मन की बात अनय के सामने रखने लगी, “बात छोटी सी है लेकिन अनय कोई भी रिश्ता तब ही निभ पाता है जब उस रिश्ते में रहे दोनों व्यक्ति एक दूसरे के प्रति वफादार रहे । अब वो रिश्ता दोस्ती का हो चाहे कोई और ..”

काव्या की बात सुनकर अनय कुछ देर के लिए चुप हो गया । उसके एक छोटे से मजाक से बात इतनी गंभीर हो जाएगी इसका अंदाजा भी नहीं था उसे ।

अनय ने कुछ सोचकर जवाब दिया, “काव्या, वो बात बस ऐसे ही मजाक में निकल गई थी । मेरे मन में अब ऐसा कुछ नहीं है। रिश्तों के महत्व का ख्याल मुझे भी है ।”

अनय का जवाब पाकर काव्या थोड़ी सी उलझ गई । उसने अनय से पूछा, “अब नहीं है...से क्या मतलब है तुम्हारा ? पहले कोई और थी क्या तुम्हारी जिन्दगी में ?”

अनय ने अब अपनी कलाई घड़ी पर नजर डाली और बोला, “तुम बहुत शंका करती हो । चलो भी अब डिनर ब्रेक पूरा हो गया है । हम दोनों ही यहाँ उल्लू की तरह बैठे हुए है ।”
अपनी जगह से खड़ी होते हुए काव्या अब हँस दी और अनय के साथ चलते हुए बोली, “तुम पर नहीं तो और किस पर शंका करूँगी ? शंका करते रहने से मर्द औरत की मुट्ठी में बँधा रहता है ।”

अनय ने चलते हुए कहा,”अच्छा ! लेकिन अभी तुम मेरी औरत बनी ही कहाँ हो ? ऐसा कुछ भी तो नहीं हो पाया हमारे बीच अभी तक।”

अनय की बात सुनकर काव्या के गाल गुलाबी हो गए । उसने ने धीरे से अनय की पीठ पर मुक्का मारते हुए “शटअप !” कहा और दोनों कैंटीन से बाहर निकल गए ।

शेष भाग फिर

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दादी की परी
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