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कविताअतुकांत कविता
डूबती किरणों संग गौधूलि में जो पिय पंकज दिख जाए जैसे सुबह से बिछड़ी बछिया देख गौमाता का मन हर्षाये बैठे कहीं जमुना तीरे, तेरी अनुभूति सारी थकन मिटाए पथराई अंखिया देख दरस, दिऐ सी मन आलौकित कर जाए