Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
रस्सी जल गई पर बल नहीं गया - Pragati Tripathi (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिक

रस्सी जल गई पर बल नहीं गया

  • 314
  • 11 Min Read

हम्म्म (एक लंबी सांस भरते हुए) चलो शादी अच्छे से निपट गई, रीता की मां एक कप चाय ले आओ "- थके हारे वर्मा जी ने अपनी पत्नी से कहा।

"वर्मा जी की पत्नी चाय लेकर आई, बेटी की विदाई से अभी भी उनका मन दुखी था। चाय पीते हुए वर्मा जी ने पत्नी से पूछा"- राकेश कहां हैं?

"शायद  बरामदे में हैं, इतना कहकर एक लड़के को पुकारा( बच्चे वहीं खेल रहे थे) - दीपू देख तो राकेश भईया कहां हैं? जा बुला ला उन्हें"।

(लड़का दौड़ते हुए इधर - उधर ढुंढता हैं तभी कुछ आदमी से बात करते हुए राकेश को देखता है) भईया काका बुला रहे हैं तुम्हें।

"चल मैं आता हूं, इतना कहकर राकेश फिर बात करने लगता हैं"।

"कुछ देर बाद वो कमरे में आता है, पिताजी आपने बुलाया मुझे । हां हां बैठो, तभी राकेश के लिए उनकी मां चाय लेकर आती हैं।( दोनों शादी के खर्चे और बाकी खर्चो का हिसाब - किताब करने लगे )"।

"चलो सबकुछ अच्छे से हो गया, बेटी खुशी खुशी अपने घर चली गई- वर्मा जी सुकुन भरे लहजे में कहते हैं"।

"क्या सब अच्छे से हो गया, खुन तो चूस लिया रीता के ससुराल वालों ने, अभी बाहर टेंट वालों को पैसे दे रहा था। वे और पैसों की डिमांड कर रहे थे, कह रहे थे की दो गद्दे, पांच बर्तन, दो तकिया गायब हैं। अभी लाइट वालों, बैंड वालों, कैटरर वालों को पैसे देना बाकी हैं"।

"सही कह रहे हो बेटा खुन तो चूस लिया हमारा, दस लाख कैश और एक आई ट्वेन्टी लेने के बाद भी रीता के ससुर का पेट नहीं भरा तो अपने दामादों और भाईयों को सोने की अंगुठी भी दिलवा दी और मजबूरी वश मुझे देनी पड़ी। बहुत लालची हैं"।

"कितना लोन चढ़ गया इसकी शादी में, तभी राकेश की पत्नी उस कमरे में दाखिल हुई। उसे देख एकाएक वर्मा जी और राकेश को, आशा के घरवालों के साथ अपने द्वारा किए गए एक - एक कृत्य तस्वीर की भांति उनके आंखों के सामने घूमने लगे"।

"कमरें में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। आशा ने कहा - नाश्ता तैयार हो गया हैं, कहिए तो कमरे में ही ले आऊं। हां हां ले आओ(  फिर आपस में बातचीत करने लगे) अब लड़के वालों की तो सारी बातें माननी ही पड़ती हैं। आखिर लड़के वाले जो ठहरे"।

आज इन लोगों के मुंह से ऐसी बातें सुनकर तसल्ली हो रही हैं, "जैसी करनी वैसी भरनी" इसे कहते हैं कर्मा जो आपको इसी दुनिया में भोगना पड़ता हैं"।

खाने के दौरान नन्हा दीपू भी अपने काका के साथ ही खाने बैठ गया और खाना खाते हुए उसने पूछा - काका "रस्सी जल गई पर बल नहीं गया" का क्या मतलब है?

आशा दीपू की बातें सुनकर मंद - मंद मुस्कुराने लगी ......

logo.jpeg
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

last ka muhavra jabardast bahut badhiya kahani likhi hai kahte hai na ki is janam ka isi janam me bhogna padta hai sab

Pragati Tripathi4 years ago

Ji dhanyawad Aapka ?

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG