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कविताअतुकांत कविता
गोरी राधा, श्यामल कान्हा बाँटे सुख- दुख, आधा-आधा निर्मल ह्रदय, सुकोमल काया जीवन छनिक धूप, छनिक छाया काहे सोचें क्या खोया क्या पाया?