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कविताअतुकांत कविता
प्रीत की चूनर जब से ओढ़ी लगे तुझसा न कोई भोला न मुझ सी कोई भोली भीगी मोरी अंगिया भीगी मोरी चोली तुझ संग कान्हा प्रेम रंग क़ी होली खेली इन कानन में मुरली मनोहर, सीरत लई बसाय नयन कमल में नटवर नlगर , दूजो कौन न समाय