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कविताअतुकांत कविता
दुखी मन को तू नए रूप दिखाए तूझ संग कान्हा मोरा दिल हरषाए केशन कूँ तू जो हाथ फिराए, अखियन मोरे जल भर आये ये मन चञ्चल , निधिबन बन जाये