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निधिबन - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

निधिबन

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दुखी मन को तू नए रूप दिखाए
तूझ संग कान्हा मोरा दिल हरषाए
केशन कूँ तू जो हाथ फिराए,
अखियन मोरे जल भर आये
ये मन चञ्चल , निधिबन बन जाये

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