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कविताअतुकांत कविता
पैरो को मिली नई थिरक बौराई पवन ने दी ऐसी सनक डूबकर ही होता है उबरना प्यार में तेरे ऐसा निखरना चाँदनी का तन पे बिखरना मन का चम चम चमकना