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मनन - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

लेखआलेखअन्य

मनन

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कभी-कभी हम बस चलते ही चले जाते हैं पर जिंदगी ठहर सी जाती है
क्यों ना हम कुछ देर ठहर कर देखें शायद जिंदगी चल पड़े
कभी-कभी टेड़े मेढे रास्ते जंगल के दरिया तक ले जाते हैं तक लेकर जाते हैं और कभी कभी सीधे रास्ते चलते चलते हम गंगा तट आ जाते हैं
कभी-कभी हम सबको लेकर चलते चलते तन्हा हो जाते हैं कभी कभी हम तन्हा बढ़ते बढ़ते सबके दिल में बस जाते हैं

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