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अरे ओ रे कान्हा - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

अरे ओ रे कान्हा

  • 140
  • 4 Min Read

अरे ओ रे कान्हा
मुझको नहीं अब चैन
आन बसो मोरे नैन
मुझको नहीं अब चैन
अरे ओ रे कान्हा
कान्हा रे कान्हा
मुझको नहीं अब चैन..

निर्मल दिल दो निश्छल नैना
मुझको तो बस तुझ संग रहना
तेरे मिलान की आस लगाये
ये ही जपू दिन रैना।

अरे ओ रे कान्हा
मुझको नहीं अब चैन

तू प्यारा आंखों का काजल
मैं व्याकुल बन बनी हूँ राधा
तेरे दर्श कर मन समझाऊँ
समझो अब तो बैन

अरे ओ रे कान्हा
मुझको नहीं अब चैन

देह है दो एक प्राण हुए हम
बंधा रहे ये प्रेम का धागा
तुम से प्रीत न टूट ये पाए
बने न मेरा भाग्य अभागा
अश्रु बहाए नैन।


अरे ओ रे कान्हा
मुझको नहीं अब चैन

अरे ओ रे कान्हा
मुझको नहीं अब चैन
आके बसो मोरे नैन
मुझको नहीं अब चैन

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