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कविताअतुकांत कविता
मन में वादियो सी गहराईया भर तू हिमालय सा संग आ खड़ा महकाता चन्दन सा हिया लफ्जो को नया अर्थ मिला और जो गाऊ गीत मैं प्यार के लौटाये तू सुर संगीत बना साँसों सा जो आ तू बसा मुझे मेरा मनमीत बना प्यार की इन लहरों से देखो जीवन का हर रंग खिला