कविताअतुकांत कविता
बापू के जन्मदिन पर ...
"बापू तेरे बंदर तीन"
एक ने ,
बुरा मत कहो।
दूसरे ने,
बुरा मत सुनो।
तीसरे ने,
बुरा मत बोलो।
अब हमारे पास
एक उसकी
'अंतरआत्मा' !
जो कहती है।
'मुझे' बुरा मत कहो!
'मुझमें' बुराई नहीं ढ़ूढ़ों!
'मेरी'बुराई मत सुनों!
बापू तेरे तीन तो
बुत बने रहे !
आज चंहुओर
हमारा सामना
उस 'चौथे'
बड़बोले से है 🤔
बापू तेरी सुनूँ
मैं या उसकी ?
क्या करूँ मैं
तू ही बता दे ?
मेरे बापू।
सीमा वर्मा/ स्वरचित