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सोच रही हूँ - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

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सोच रही हूँ

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  • 3 Min Read

सोच रही हूँ आज दिल की बात बता दूँ
हर इक तस्वीर आपकी बड़ी खास है, जता दूँ...
महक अजब सी, खनक गजब सी इनमें
सरगम सी खुमारी, बड़ी बेशुमारी इनमें
बता ही दूँ आज कि बातें बहुत सी दिल की करने को तस्वीर में नये नये रूप धरकर आप सीधे दिल में उतर घर कर जाते हो...
और कभी कभी तो तस्वीर से बाहर निकल रूह आपकी, नज़दीक मेरे आकर, मेरे सोये हुए कुनमुनाते ख़्वाबों को चूमकर खूबसूरत से रंग भर जगाने चली आती है, और उनिंदी सी रूह मेरी, आँखों में फिर इक नयी चमक लिए, हौले से मुसका के, झटक के लटों सी उलझन सारी, कुछ कर गुजरने को इतला के ज़रा सा, उठ खड़ी हो जाती है... तुम्हें देख रीझ रीझ निहारे जाती है...

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