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" हे संतति तुम्हे प्रणाम " 💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

" हे संतति तुम्हे प्रणाम " 💐💐

  • 202
  • 4 Min Read

आज जीऊतिया पर्व के सुअवसर पर हृदय से उपजे कुछ उद्गार
#शीर्षक
" हे संतति तुम्हें प्रणाम " 💐💐
हे संतति तुझे प्रणाम
मन्नतों से पाया तुझको
प्यार किया,आराधना की
रुनुक-झुनुक कदमों की
आहट पा गुंजाएमान हुआ
जीवन, तुतली वाणी को
सुन तृप्त हो गये मेरे कर्ण

बड़े हुए तुम पढ़े लिखे
अपने पैरो पर खड़े हुए
आज करीब नहीं
मेरे फिर भी बसते
मन के आँगन में!

जब घोड़ी बैठे चढ़ चले
तुम पाने को सँसार नया!
बारात चली और लगी
कभी मेरे दरवाजे पर।
मेरे बच्चों के बच्चे से
खुशहाल हुआ मेरा
जीवन!!

अब पास नहीं हमारे
तुम। आना भी दुश्वार
हुआ। होगी कोई मजबूरी
यह सोच दिलासा देती हूँ।
प्रेम तुम्हें मैं करती हूँ।
आशाऐं हों परिपूर्ण
तुम्हारी नित नये !
कामना ये करती हूँ

तुम रहो जहाँ
वहाँ चाँद तारों
की बारात रहे।
यही दुआएँ देती हूँ।
हँसते-खिलखिलाते
बने रहो फिर चाहे
हम रहें ना रहें ...!!

सीमा वर्मा/ स्वरचित

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 2 years ago

बहुत ही सुंदर

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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