Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
बस तू ही तू - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

बस तू ही तू

  • 190
  • 1 Min Read

सहज़ हैं जीवन तू भॅवर मैं क्यूँ
निर्मल मन तो उलझन क्यूँ
झरना बन बस बहता जा,
मन गागर में मंथन क्यूँ
इस दिल में तुझ बिन कौन समाये,
मेरे मन बस तू ही तू

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg