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स्वप्न लहरिया - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

स्वप्न लहरिया

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नैना मुदु पाऊँ आज मेरी माँ के तन लिपट रहा हैं चन्दन
लाली, बाली, काजल, कुसुमा महक रहा घर आँगन
बड़ी सी बिंदिआ तिलक लगाई , बाज उठा मन का मृदंग
डाली माँ ने झीनी झीनी स्वप्न लहरिया, भीग रहा मेरा तन मन

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