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कविताअतुकांत कविता
तरुवर संग जैसे पत्र और पंखुड़ी बयार संग सुगंध बहे बन दंभनि नाचे मन राधा कृष्णा सा हो भाव भंगी पूनम ये अलबेली हुई मिली सखा संग संगिनी