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कच्चे रास्ते (भाग 18) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग 18) साप्ताहिक धारावाहिक

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भाग १८

“अनय ! सम्हालो अपने को।”काव्या जोर से चीखी ।

समीर अनय के पीछे अपने हाथों में एक बड़ा सा पत्थर लेकर उस पर प्रहार करने जा ही रहा था कि काव्या जोर से चिल्लाई ।

अनय जैसे ही पीछे की तरफ मुड़ा समीर ने वो पत्थर उसके ऊपर फेंक दिया । अनय अपना बचाव करते हुए फुर्ती से वहाँ से हटा तो सही लेकिन वो पत्थर उसके बायें पैर के पंजे के पास गिरा और अनय अपना बायाँ पैर जमीन से थोड़ा ऊपर कर दर्द से तपड़ने लगा । काव्या ने आगे बढ़कर उसे अपने कंधे का सहारा दिया । अनय ने आज जूते नहीं पहने हुए थे । उसने पैरों में पहन रखी स्लीपर निकाली और अपना पैर ऊँचा कर अँगूठे को ध्यान से देखने लगा । उसके अँगूठे से खून निकल रहा था । अनय काव्या का सहारा लेकर पास रखे पत्थर पर बैठ गया । तभी काव्या ने अपने पर्स से अपना रुमाल निकाला और अनय के अँगूठे पर बाँध दिया । समीर अपनी जगह पर चुपचाप खड़ा था । उसके हाथ पैर काँप रहे थे । तभी काव्या ने आगे बढ़कर गुस्से से उसके गाल पर जोर से चाँटा मार दिया ।

समीर ने काव्या की इस हरकत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । वो अपने गाल को सहलाते हुए अब भी चुपचाप वहीं खड़ा हुआ था । उसे चुप देखकर काव्या ऊँची आवाज में बोली,
“मैं सबकुछ भूलकर अपनी टूट चुकी दोस्ती को फिर से जिन्दा करने आई थी लेकिन तुम तो अब दोस्ती क लायक भी नहीं हो. समीर।”

समीर को ये कहने के बाद काव्या की आँखों में आँसू आ गए । उसने आगे बढ़कर अनय का हाथ थाम लिया और बोली, “चलो अनय । अब यहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं।”

अनय काव्या के हाथ का सहारा लेकर खड़ा हो गया और उसके कंधे का सहारा लेकर उसके साथ चलने लगा । समीर वहीं पत्थर पर अपना सिर पकड़कर बैठ गया । उसका नशा अब पूरी तरह से उतर चुका था ।

काव्या अनय के साथ चलते हुए पूछ रही थी, “बाइक चला पाओगे ?”

“उलटे पांव में चोट लगी है तो कीक मारने में कोई दिक्कत नहीं होगी ।” अनय ने काव्या के साथ कंपाउंड गेट से बाहर निकलते हुए जवाब दिया ।

अनय का जवाब सुनकर काव्या ने आगे कहा, “यहाँ शिवाजी पार्क से सीधे हाथ की तरफ मेन मार्केट की तरफ जाते हुए रास्ते में मनीष अंकल का क्लिनिक है । वहाँ चलकर ड्रेसिंग करवा लेते है।”

अनय काव्या के सुझाव से सहमत नहीं हुआ और बोला, “उसकी कोई जरूरत नहीं है । छोटी सी चोट है । घर जाकर डेटाल से साफ कर लूँगा । मनीष अंकल के क्लिनिक पर जायेंगे तो चोट लगने का कोई और बहाना भी ढूँढना पड़ेगा।”

काव्या को अनय का खुद के लिए लापरवाह होना पसंद नहीं आया और उस पर पूरे अधिकार से बोली, “तो किसी दूसरे क्लिनिक पर चलते है।”

काव्या की बात सुनकर अनय अब हँस दिया और बोला, “मतलब तुम मेरी जेब खाली करवा कर डॉक्टर की जेब भरवाकर रहोगी।”

अब तक काव्या का सहारा लेकर अनय बाइक पर बैठ चुका था । अनय की बात सुनकर काव्या भी हँस दी और बोली, “मैं डॉक्टर का बिल पे कर दूँगी ।”

अनय ने काव्या के गाल पर धीरे से चिकोटी भरी और बोला, “मोहतरमा ! अभी इतने बुरे दिन नहीं आये है कि अपनी होने वाली ....”

अनय अपनी बात अधूरी रखकर अचानक से चुप हो गया । उसके चेहरे को देखकर काव्या बोली, “चुप क्यों हो गए आगे बोलो न ?”

अनय ने काव्या की आँखों में उतर रहे रंगीन सपनों को अनुभव करते हुए जवाब दिया, “नहीं काव्या. शादी हमारी रिलेशनशिप के लिए स्यूटेबल ऑप्शन नहीं है ।”
काव्या को कुछ पूछने का मन हुआ लेकिन फिर कुछ कहे बिना वो अपनी स्कूटी के पास चली गई और अनय के साथ ड्राइव कर आगे बढ़ गई ।

समीर कंपाउंड गेट के पास खड़ा उन दोनों को आगे जाते कुछ देर तक देखता हुआ वहाँ खड़ा रहा और फिर खुद भी अपने घर की तरफ निकल गया ।

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लोंग वीकेंड के बाद CTA Business solution के सभी कर्मचारी अपने अपने कामों में व्यस्त थे । काव्या पिछले तीन घण्टे से लगातार अपनी जगह पर बैठी हुई थी। वो इन तीन घंटों में एक बार भी अपनी डेस्क से खड़ी नहीं हुई थी । तभी रूबी अपनी जगह से खड़ी होकर उसके पास आई । काव्या ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर पूछने लगी, “काम था क्या कुछ ?”

रूबी ने काव्या की डेस्क पर रखी हुई डेरी मिल्क उठाकर उसका एक बाइट लेकर कहने लगी, “काम के बिना बात नहीं कर सकती क्या तुझसे ?”
काव्या ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “जरुर कर सकती हो । और बताओ कैसा रहा लोंग वीकेंड ?”

रूबी काव्या को चिढ़ाने के मूड में थी । उसने हँसकर जवाब दिया, “मेरी छोड़ । तू बता, अनय के साथ कैसा रहा तेरा वीकेंड ? कुछ कुछ हुआ या नहीं तुम दोनों के बीच ?”

“शटअप रूबी । अनय और मैं कोई हनीमून कपल नहीं है जो तू कुछ कुछ जानने को उत्सुक हो रही है।” रूबी की बात सुनकर काव्या ने हल्के अंदाज से जवाब दिया ।

काव्या का जवाब सुनकर रूबी बात का सिलसिला बदलते हुए बोली, “ये सब छोड़ । मेरे पास तेरे लिए एक गुड न्यूज है।”

काव्या ने हैरानी से रूबी को देखा, “क्या न्यूज है ?”

अब रूबी काव्या के एकदम नजदीक आ गई और बोली, “इतनी बड़ी न्यूज ऐसे ही थोड़े बता दूँगी । कीमत लगेगी...”

काव्या ने बनावटी गुस्सा करते हुए उससे कहा, “तो जा नहीं सुनना मुझे. ऑफिस से जुड़ी हुई बात होगी तो बाद में पता चल ही जाएगी।”

इस पर रूबी काव्या को मनाते हुए बोली, “तू यार बड़ी खडूस है. प्राइम न्यूज को सबसे पहले सुनने की उत्सुकता कुछ और ही होता है । सच कहूँ, मुझे जब से ये न्यूज पता चली मैं तो बहुत खुश हो गई।”

रूबी के बार बार सस्पेंस बनाने से अब काव्या से रहा नहीं गया और उसने पूछा, “अब बता भी दे । ऐसी तो कौन सी न्यूज है ?”

रूबी धीरे धीरे सस्पेंस खोलने लगी, “जब मुझे पता चला तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ पर न्यूज पक्की है। मैं कुछ देर पहले अमोल सर के केबिन में थी ...पता है वहाँ क्या हुआ ?”

काव्या की उत्सुकता बढ़ती ही जा रही थी । वो रूबी की सस्पेंस से भरी न्यूज सुनने को बेताब हो रही थी । रूबी को चुप देखकर उसने कहा, “बताएगी तो पता चलेगा ना ? मैं थोड़े ही थी तेरे साथ अमोल सर के केबिन में।”

“हाँ तो आगे की बात सुन !” रूबी ने आगे बोलते हुए कहा, “अमोल सर को मैंने कस्टमर कम्प्लेन वाली जो एक्सेल शीट भेजी थी उसमें उनको कुछ समझ नहीं आ रहा था । उनके लेपटॉप में उनको मैं बता रही थी तभी एक ईमेल नोटिफिकेशन आया जो मैंने देख लिया।”

रूबी बात को अधूरी रखकर थोड़ी देर के लिए चुप हो गई । काव्या को उसका बार बार इस तरफ से संस्पेंस बनाते हुए चुप हो जाना अब पसंद नहीं आया । उसने रूबी से कहा, “सारी बात एक बार में ही बोल दे ना । क्या देख लिया तूने ईमेल में ?”

रूबी अब काव्या की डेस्क पर कम्प्यूटर स्क्रीन के पास बैठ गई और धीरे से बोली, “वह समीर का मेल था... सब्जेक्ट लाइन थी...Resignation from Samir Ghosh”
“क्या !!!” रूबी की बात सुनकर काव्या हैरानी से बोली ।

इस पर रूबी ने आगे कहा, “देखा न चौंक गई । मेरी भी ये ही प्रतिक्रिया थी जब मैंने उस ईमेल को देखा तब।”

काव्या फ्राई डे दोपहर को समीर के साथ हुए प्रिया टॉकीज वाली घटना के बारे में सोचने लगी । उसने रूबी को इस बारें में अभी तक कुछ नहीं बताया था । थोड़ी देर के बाद वो बोली, “समीर और रेजिग्नेशन ? तूने ध्यान से देखा था वो समीर का ही मेल था ?”

रूबी को पता था कि काव्या ये सवाल उससे करेगी । उसका जवाब तैयार था, “अमोल सर उस मेल को तुरंत खोलकर पढ़ना चाहते थे लेकिन मेरी हाजरी में नहीं कर पा रहे थे । उन्होंने मुझे बाद में आने को कहकर उनके केबिन से जाने को कहा तो मैं समझ गई कि मामला गंभीर है । तूने क्या कोई शिकायत वगैरह की है समीर की ?”

रूबी के पूछने पर काव्या ने जवाब देते हुए कुछ असामान्य महसूस करने लगी, “न...नहीं...मैंने ऐसा कुछ नहीं किया पर मुझे पता है अमोल सर उसका रेजिग्नेशन स्वीकार नहीं करेंगे ।”

रूबी ने खड़े होकर कहा, “ये तो वो ही निर्णय करेंगे पर समीर ने अचानक से रिजाइन क्यों कर दिया ..ये समझ नहीं आ रहा है।”

काव्या धीरे से बोली, “ये भी जल्दी ही समझ में आ जाएगा।”

रूबी काव्या की बात सुनकर वहाँ से जाते हुए रुक गई । उसने काव्या की तरफ देखा और पूछने लगी, “तो तुझे पता है उसने क्यों अचानक से रिजाइन कर दिया ?”

“नहीं पर समीर के बारे में कुछ बात है जो मैं तुझे बाद में बताऊंगी । मैं उससे शुक्रवार को मिली थी ।” काव्या जवाब देकर अपने काम में वापस व्यस्त हो गई ।

चौंकने की बारी अब रूबी की थी । अपने मन में समीर वाले सस्पेंस को लेकर वो वहाँ से वापस अपनी जगह पर आ गई ।

शेष अगले हफ्ते

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