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लहज़ा - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

लहज़ा

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लहजा

लोग मतलब के वक्त,लहज़ा खास रखते हैं,
कड़वी जुबां पर, दिखावटी मिठास रखते हैं।
जल्दी से मतलब पूरा हो,कब लहज़ा बदले,
आत्मा पे,सच्चे होने का झूठा लिबास रखते हैं।
न जाने कब किससे,कौनसा काम पड़ जाए,
इसलिए,आजकल फोन नम्बर पास रखते हैं।
काम निकलते ही लहज़े औऱ अल्फाज़ बदलते,
देखो कैसे कैसे हर्फ़ के खंजर अपने पास रखते है।।
स्वार्थी लोगो से कभी ममता का पाला न पड़े,
बस खुदा से मरते दम तक,यही आस रखतें हैं।
©️ममता गुप्ता✍️

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