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कच्चे रास्ते (भाग १७) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग १७) साप्ताहिक धारावाहिक

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भाग १७

समीर की बात सुनकर काव्या तेजी से अनय के पीछे जाकर खड़ी हो गई और उसकी बाँह जोर से पकड़ ली । उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि समीर इस तरह की बेहूदा माँग कर सकता है ।उसे अब खुद पर ही पछतावा होने लगा कि क्यों उसने समीर से मिलकर सुलह करने की बात सोची ।

दूसरी ओर अनय को समीर की बात सुनकर गुस्सा आ रहा था लेकिन अपने गुस्से पर काबू करते हुए उसने काव्या का हाथ अपने बायें हाथ से धीरे से दबाकर उसे हिम्मत से काम लेने को कहा और समीर को आगे बढ़ने से रोकते हुए वो उससे बोला, “तुम क्या बक रहे हो ?”

समीर ने अनय की बात का जवाब न देकर काव्या की तरफ देखकर गंदे तरीके से हँस दिया और उसे देखकर कहा, “एक बार काव्या ....बस ...एक बार.. फिर तुम्हारे रास्ते से हट जाऊँगा ।”

काव्या अब जोर से चिल्लाई, “बंद करो अपनी ये बकवास समीर । तुम सही में ही चरित्रहीन इंसान हो ।”

“क्यों चला जाऊँ ? तुमने ही तो मुझे मिलने बुलाया था । दो प्रेमी अकेले में मिले और मिलकर रोमांस न करे ये कैसे हो सकता है ?” समीर आगे बढ़ते हुए अभी कुछ और बोलने
जा ही रहा था कि अनय ने उसे चेहरे पर एक जोर का मुक्का मार दिया ।

अनय के इस प्रहार से समीर अपने आपको सम्हालता हुआ थोड़ा पीछे हटा और फिर अपने होंठ पर उभर आयी खून की बूंदों को अपनी हथेली से साफ करते हुए जोर से अनय को गाली देकर बोला, “साला । अमेरिका से आकर इण्डियन माल पर हाथ डालता है।”

काव्या और खुद के लिए समीर के कहे गलत शब्द सुनकर अनय अब खुद पर अब काबू नहीं रख पाया और उसने आगे बढ़कर दो मुक्के उसके पेट पर जमा दिए । समीर एक बार फिर से दर्द से चीख उठा । अपने आपको सम्हालते हुए वो अनय पर प्रहार करने जा ही रहा था कि अनय ने खुद को सम्हालते हुए उसे जोर से धक्का देकर जमीन पर पटक दिया फिर पीछे मुड़कर काव्या से कहने लगा, “काव्या। इसने बहुत ज्यादा पी रखी है । नशे की हालत में कुछ भी बोले जा रहा है। चलो यहाँ से । अगर अब यहाँ और रुके तो बहुत बड़ा बखेड़ा खड़ा हो जाएगा।”

अनय की बात सुनकर जमीन पर लेटे हुए दर्द से तड़प रहे समीर की तरफ देखा । समीर की नशे की हालत में कही बातों से काव्या का मन उसके लिए और भी ज्यादा घृणा से भर गया था लेकिन इस वक्त मदद की आशा में तड़प रहे समीर का वेदना से भरा हुआ चेहरा देखकर काव्याका दिल पसीज गया । उसने अनय को टोका, “नहीं अनय । इसे इस हालत में यहाँ छोड़कर जाना ठीक नहीं होगा । इसे कुछ हो गया तो हम दोनों फँस जाएँगे।”

अनय ने एक नजर समीर पर डाली ।समीर धीरे से उठने की कोशिश कर रहा था लेकिन उससे उठा नहीं जा रहा था ।

अनय ने काव्या को समझाते हुए कहा, “कुछ नहीं होगा इसे । होश ठिकाने आने पर खुद उठकर अपने घर चला जाएगा।”

“तुमने इसे यहाँ बुलाया था ?” अनय की बात सुनकर अचानक से काव्या ने पूरी बात जानना चाही ।

अनय ने अब सबकुछ काव्या को सच बताते हुए कहा, “हाँ, उसने मुझे सुबह ग्यारह बजे के लगभग फोन किया था । तुमने मुझे कॉल किया था तब तक सबकुछ तय हो चुका था लेकिन मैंने ये बात तुमसे छिपाई थी ।”

अनय का जवाब सुनकर काव्या ने परेशान होते हुए कहा, “तुमने ये ठीक नहीं किया अनय । तुम्हें इसे यहाँ इस सुनसान जगह पर मिलने के लिए नहीं बुलाना चाहिए था । किसी पब्लिक प्लेस पर मिलना चाहिए था ।”

इस पर अनय बोला, “मुझे शंका थी ही कि समीर कुछ ऐसी ही गिरी हुई हरकत करेगा । पब्लिक प्लेस पर बुलाता तो बहुत बड़ा इश्यू हो जाता ।” थोड़ी देर रूककर अनय ने काव्या से पूछा, “लेकिन तुम्हें क्या जरूरत थी यहाँ आकर इसे सॉरी कहने की ?”

काव्या ने अनय की बात का जवाब देते हुए कहा, “ऑफिस से घर जाने के बाद कल फिर से इसका लिखा वो लेटर एक बार फिर से पढ़ा और फिर उसके बारें में सोचते हुए तुम्हारी जन्मदिन की शोपिंग वाली घटना को यादकर मुझे बहुत कुछ अहसास हुआ । कहीं न कहीं मेरी वजह से ही समीर की भावनायें आहत हुई थी और उसी वजह से ये ओवर रिएक्ट कर रहा है, ये ही सोचकर मैंने इसे सॉरी बोलकर सारा मामला यहीं खत्म कर मिलने की बात कही थी । इस पर समीर ने मुझे यहीं आने को कहा था।”

तभी समीर के शरीर में कुछ हलचल हुई । आहट होने से काव्या और अनय दोनों ने पीछे मुड़कर देखा । समीर उठने की कोशिश कर वापस जमीन पर गिर पड़ा ।

काव्या अब अनय को देख रही थी । अनय कुछ सोच रहा था । थोड़ी देर सोचने के बाद वो बोला, “तुम अगर इसे यहाँ नहीं छोड़कर जाना चाहती तो इतजार करना पड़ेगा इसके होश में आने तक ।”

काव्या समीर के होश में आने तक इन्तजार करने को तैयार थी । वो अनय से बोली, “तुमने इसे कॉल कर यहाँ बुलाया था । इसे इस हालत में छोड़कर जाओगे तो ये इस बात को लेकर ऑफिस में कोई नई समस्या भी पैदा कर सकता है।”

काव्या का जवाब पाकर अनय ने उससे कहा, “नहीं । ऑफिस में अपनी इज्जत के चक्कर में ये आज के इस घटना का जिक्र किसी से नहीं करेगा।”

काव्या अनय की बात से सहमत नहीं थी । वो बोली, “मैं इस पर अब और विश्वास नहीं कर सकती। लेकिन हमें इसके यहाँ से जाने के बाद ही निकलना चाहिए या फिर इसे साथ लेकर ही जाना चाहिए । मुझे डर है कहीं ऐसा वैसा कुछ न हो जाये ।”

“ठीक है । फिर इन्तजार करो ।” अनय ने कहा और अपने दोनों हाथ जींस की पॉकेट में डालकर चुपचाप खड़ा हो गया । काव्या की बात से अनय सहमत नहीं था । उसे काव्या का उस लड़के के लिए सोचना गलत लग रहा था जो उसका सम्मान करना तक नहीं जानता था । काव्या अपने सामने खड़े अनय के चेहरे के भावों को पढ़ने की कोशिश कर रही थी । वो समझ गई थी कि अनय को यहाँ अब और इन्तजार करना ठीक नहीं लग रहा था लेकिन उसकी जिद पर वो उसके साथ खड़ा था ।

“तुम्हें इस तरह यहाँ इन्तजार करना अच्छा नहीं लग रहा है न ?” काव्या ने अनय का हाथ अपने हाथ में लेकर उससे पूछा । अनय काव्या के ठीक सामने खड़ा था और काव्या उसके सामने खड़ी हुई समीर पर बराबर नजर रख पा रही थी ।

काव्या का सवाल सुनकर अनय ने एक फीकी सी मुस्कुराहट देते हुए उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और बोला, “नहीं । तुम बेवकूफ हो ।”

अनय की कही बात का जवाब देते हुए काव्या बोली, “तुम गलत हो अनय । इसे इस हालत में छोड़कर जाना ठीक नहीं लग रहा है मुझे । इस तरह के व्यवहार से ही तो इंसानियत खत्म होती है ।”

“इंसानियत इंसानों से दिखाई जाती है । जानवरों के साथ नहीं।” अनय ने अपना मुँह बिगाड़ते हुए काव्या को जवाब दिया ।

काव्या अनय की बात से सहमत नहीं थी । वो उसके साथ बहस में उतरते हुए आगे बोली, “समीर इस वक्त गलत है ये मैं अच्छी तरह से जानती हूँ लेकिन एक सच ये भी है कि वो ये सब शराब के नशे में बोल रहा है । हो सकता है नशा उतरने पर उसे अपनी गलती का अहसा हो और वो माफी माँग ले ।”

काव्या की बात सुनकर अनय अब धीरे से हँस दिया और बोला, “काव्या ! तुम बहुत भोली हो । ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला । तुम फालतू में मेरा और अपना समय यहाँ बर्बाद कर रही हो ।”

अनय को मना करते हुए काव्या ने समीर पर एक नजर डाली।वह अब फिर से उठने की कोशिश कर रहा था ।

“उसे होश आ रहा है ।” काव्या बुदबुदायी ।

अनय ने पीछे मुड़कर देखा और फिर काव्या से बोला, “इतनी मार खाने के बाद भी इसका नशा अभी तक नहीं उतरा । ये इतनी जल्दी खड़ा नहीं होने वाला ।”
अनय की बात सुनकर काव्या ने फिर से अनय का हाथ पकड़ लिया और बोली, “कुछ देर और प्लीज... ”

तभी उसकी नजर समीर पर पड़ी और अचानक से वो जोर से चीख उठी ।
शेष अगले हफ्ते

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दादी की परी
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