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कविताअतुकांत कविता
राधा सी होऊ समर्पिता झलके अखियन प्रेम, भक्ति और सम्मान गुनो के गहने मान बढ़ाये हो प्रेम भरी मेरी मुस्कान चंचल-चपल करुणामयी राधिके तुझ सी होऊ, मैं तेरी संतान हे माँ ! दो ये वरदान |