Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ठुकराई गई - Sandeep Chobara (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

ठुकराई गई

  • 177
  • 4 Min Read

ठुकराई गई

वह बार बार
ठुकराई गई है शौहर द्वारा
घर से और अपने मन से
लेकिन वो फिर भी
वहीं खट रही है
पड़ी हुई है घर में......!

जब भी वो जाना चाहती है
अपने पति की शोहबत में
पदाघात सहती है हर बार
कभी पेट पर.....
कभी पिछवाड़े पर......
और जा गिरती है
दूर कमरे के
किसी कोने में.....!

रोती है फिर अपने कर्मों पर
सुबक सुबक कर
सारी सारी रात भर....
पड़ी रहती है
रात के अंधेरे में....!

वह क्या सोच कर
जाती होगी शौहर के पास
कि वो मुझे संस्पर्श
में लेकर मेरी बलैया लेगा....
लेकिन उसको फिर
वहीं सहना पड़ता है
पदाघात पेट पर या
पिछवाडे पर......

क्योंकि वह ठुकराई
गई है शौहर द्वारा
उसी के कर्मों से.........!!

सन्दीप चौबारा
फतेहाबाद
२८/०८/२०२०
मौलिक एवं अप्रकाशित

IMG_20200828_225023_1598672451.jpg
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

bahut khub

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg