Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
रे मन, - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कवितागीत

रे मन,

  • 179
  • 3 Min Read

रे मन, पंछी बन
ले चल वहाँ
श्यामल जमुना
बहती जहाँ
अंतर्मन पावन
करे जहाँ
नीलाम्बर सा
चमकता निर्मल
अमृत जल वहाँ
पुलकित करे
तन मन
मनोहारी कदंबो
से झलके वहाँ
शीतल चंद्रमा
रे मन
ले चल मुझे,
मेरी राधा जहाँ
नाच उठे
मन- मयूरा
हो बावरा वहाँ
कदम रहे ना
ज़मीन पर जहाँ
अंबर से ऊँचे
हमारे सपने वहाँ
जहाँ मुझसी
श्यामल रात
और राधा सा
सुनहरा चंद्रमा
रे मन ले चल
मुझको वहाँ I
रे मन
क्या ढूंढें
यहाँ वहाँ
भर दे जो
आनंद से
वो ब्रज
का निधिबन
कान्हा मथुरा
में मिले कहाँ?

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg