Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
नीलाम्बरी काया - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

नीलाम्बरी काया

  • 139
  • 2 Min Read

देख तेरी नीलाम्बरी काया
मन पंछी बन उड़ आई
आखन में चुभते शूलन सू
मन ठण्डक जो छायी
ललचायी भरमाई आँखे
थोड़ा सकुचाई शर्माई
फिर श्रद्धा भर आखन में
मैं अपने नीड में सुस्ताने आई
तुझ में अपना घर पाके कान्हा
ये आँखे फिर थोड़ा सा भर आई

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg