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सामंजस्य, सह-अस्तित्व और समन्वय - Sudhir Kumar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

सामंजस्य, सह-अस्तित्व और समन्वय

  • 534
  • 8 Min Read

सामंजस्य, सहअस्तित्व
और समन्वय
सच पूछो तो बस यही हैं
जीवन का सच्चा परिचय

ये इंद्रधनुष के
सात रंग
रहते हिल-मिल,
करते झिलमिल,
साथ संग
एक छवि में
रंग अनेक
जब भी मिलकर
होते एक
बनता मिलकर
श्वेत सत्य
सच पूछो तो.....

सत्, चित्, आनंद मिलें
बने सच्चिदानंद स्वरूप
कर्त्ता, पालनकर्त्ता, हर्त्ता
विधि, हरि, हर त्रिमूर्ति रूप
निराकार, साकार, द्वैताद्वैत
भक्ति के विविध रूप
उमा, रमा और शारदा
माँ के ये तीनों अद्भुत रूप
नर-नारी दो एक रूप में
अर्द्धनारीश्वर शिवस्वरूप
गगन, पवन, अनल, जल, भूतल
जुड़कर लें सृष्टि का रूप
इन सभी के समन्वय से
बनता जीवन आनंद स्वरूप
निहित एकता में शक्ति
और मिले प्रभु का दान अभय
सच पूछो तो......

एक घाट पर पानी पीते
रामराज्य में बकरी, शेर
थकित राम शबरी-आश्रम में
खाकर झूठे मीठे बेर
वनवासी वानर-भालू से
किया विलक्षण तालमेल
अहंकार टूटा रावण का
गिरा धरा पर होकर ढेर
पाँच उँगलियाँ बनती मिलकर
मुष्टि एकता की शक्तिमय
सच पूछो तो......

शिव का अद्भुत परिवार निहारो
चिंतन में चैतन्य जगाकर जरा निहारो
गौरी का वाहन वनराज,
महादेव का वृषभराज
गणपति का वाहन मूषक,
कार्तिकेय का वाहन मोर
और शंभु का हार सर्प
जन्मजात ये बैरी सब मिल
रहते संग छोड़कर दर्प
इसी एकता से बनते हैं
रुद्रदेव भी शिव मंगलमय
सच पूछो तो.......

नारायण का धाम विशेष
शय्या बनकर बिछते शेष
और वाहन है पक्षिराज
इसीलिए लक्ष्मी चरणों में,
कितना यह अद्भुत समाज
भूल गये क्यों हम सब आज
सुख का मूल, शांति का राज
इसी समन्वय का पालन कर
श्रीहरि चक्र सुदर्शन धर
दुष्ट शक्ति का दमन कर
देते सत्य को विजय
सच पूछो तो ......

इसी समन्वय के चरखे से
एक धागे में बँधा समाज
इसीलिए आजाद हिंद में
हम सब मिलकर लेते साँस
एकता ही विजयमंत्र है
और कलह दिलाती पराजय
सच पूछो तो ....…

द्वारा: सुधीर अधीर

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