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" जरुरत मंद" 💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

" जरुरत मंद" 💐💐

  • 188
  • 4 Min Read

#शीर्षक
" जरुरतमंद "
"आज पुराने यजमान के घर उनके पिताजी के श्राद्ध का न्योता है " मुझे जल्दी निकलना होगा।
पत्नी से बोल ,
' दीनानाथ ' ऑफिस निकलने के पूर्व सुबह आठ बजे ही घर से निकल पड़े हैं।
" स्वागत है! पण्डित जी " दरवाजे पर ही यजमान को पत्नी सहित इंतजार में खड़े देख हर्षित हुए दीनानाथ।
वहाँ विधिपूर्वक समस्त पूजा कर्म संपन्न कराने के उपरांत भोजन से परितृप्त, संतुष्ट भाव से चलने को उद्धत दीनानाथ के चरणों में यजमान ने एक लिफाफा रख दिया,
"पण्डित जी! सामर्थ्य के अनुसार कुछ दान-दक्षिणा।"
" क्षमा करें! मैं तो स्वेच्छा से स्नेह के वशीभूत हो सिर्फ आपकी श्रद्धा का मान रखने चला आया। "
" महाराज! कुछ...अवश्य स्वीकार करें"।
"मैं नौकरी पेशा हूँ यजमान, बेहतर हो किसी जरूरत मंद ... को "।

स्वरचित / सीमा वर्मा

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 2 years ago

बहुत खूब

Apoorav Verma

Apoorav Verma 2 years ago

Wah

Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 2 years ago

Bahut sunder ,prerak laghuktha

दादी की परी
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