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कच्चे रास्ते (भाग १९ ) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग १९ ) साप्ताहिक धारावाहिक

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भाग १९ कच्चे रास्ते

रूबी के केबिन से बाहर जाने के बाद अमोल चक्रवती ने समीर के रेजिग्नेशन लेटर को दो बार पढ़ा । उन्हें हैरानी इस बात की हो रही थी कि समीर ने इस बारें उनसे एक बार भी बात किए बिना अपना ऑफिशियल रेजिग्नेशन अचानक से कैसे रख दिया ? और उस पर वो तुरंत रिलीव करने के लिए भी विनती कर रहा था ।उन्हें मन ही मन समीर के इस फैसले पर गुस्सा भी आ रहा था । रिश्ते में समीर के मामा होने के नाते खुद नहीं नहीं चाहते थे कि समीर किसी भी हालत में ये जॉब छोड़कर यहाँ से जाये।

थोड़ी देर उन्होंने कुछ सोचकर समीर को अपने केबिन में बुलाकर उससे इस बारें में बात करने का फैसला लिया औरअगले ही पल उसे कॉल कर अपने केबिन में बुला लिया ।
समीर अपना रेजिग्नेशन भेजने के बाद इस तरह की मींटिंग के लिए तैयार था । समीर उनके सामने बैठकर उनके सवालों का जवाब बिना किसी हिचकिचाहट के दे रहा था ।

“समीर, तुम्हारी सारी बातें सुनकर मैं अब भी समझ नहीं पा रहा हूँ कि किसी ठोस कारण के बिना तुम क्यों ये जॉब छोड़ रहे हो ?” अमोल चक्रवती ने समीर से कुछ देर पहले पूछा सवाल फिर से पूछा ।

समीर ने अपना जवाब दोहरा दिया, “सर, मैं वापस अपने घर लौट जाना चाहता हूँ।”

इस पर अमोल ने फिर से आगे उसे समझाते हुए पूछा, “समीर, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि यहाँ की ये जॉब अचानक छोड़कर तुम क्या करने वाले हो ? कोलकाता जाकर क्या करोगे ? तुम्हारे पास कोई और जॉब ऑफर है ?”

समीर ने आराम से लापरवाही से जवाब दिया, “नहीं। पर मिल जाएगी ।”

अमोल चक्रवती अब पारिवारिक वजहों के बारे समीर से अपनत्व से पूछने लगे । समीर से बातें करते हुए वो अब बीच-बीच में बंगाली में भी बोल रहे थे।

“इस बारें में घर पर बात की ? रीना आर जमाई बाबू जानेंन की ?”

समीर अब भी अपने जवाब पर अडिग था, “नहीं, मम्मी पापा को इस बारें में नहीं पता है । एटा आमार निजर डिसीजन । बाबा की तबियत अब ठीक नहीं रहती तो वहाँ उनके साथ रहने से आसानी होगी।”

समीर का जवाब सुनकर अमोल बोले, “पर मैं अभी भी तुम्हारे इस निर्णय से सहमत नहीं हूँ । यदि तुम जाना ही चाहते हो तो मैं तुम्हें यहाँ रुकने के लिए फोर्स नहीं करूँगा पर एक बार फिर से इस बारे में सोचो ।”

समीर ने फिर से अपनी बात दोहरा दी, “आय एम श्योर अबाउट माय डिसीजन ।”

समीर के बॉस और रिश्ते में मामा होने के नाते वो समीर के इस निर्णय से अब भी सहमत नहीं हो पा रहे थे । वो परेशान होते हुए बोले, “मैं तुम्हारे बारें में चिंतित हूँ समीर । तुम्हारे इस निर्णय के पीछे कुछ तो है जो तुम मुझे बताना नहीं चाहते।”

समीर जॉब छोड़ने का अपना मन बना ही चुका था । वो अमोल की हर बात पर केवल एक ही जवाब दे रहा था । इस बार वो बंगाली में बोला, “सेराम किछु ना मामा । एखोन बीए ओ होते चोले छे. कोमोलिका एइ खाने आस्ते चाएना । शेई जोन्ने दीवालीर आगे कोलकाताए सेटल होते होबे ।” समीर ने जब उसकी होने वाली पत्नी का नाम लेकर अपने निर्णय को मजबूत बताना चाहा तो अमोल तुरन्त कह उठे,“अमी कोमोलिका के भालो कोरे जानी । वो एराम बोलते ई पारेना । तुम जरुर कुछ छिपा रहे हो मुझसे ।”
समीर अब अपनी बात पर जोर देकर बोला, “मैं कुछ भी नहीं छिपा रहा हूँ । मैं ये नौकर करूँ या ना करूँ ये मेरा अपना फैसला है ।”

अमोल को अब भी लग रहा था की समीर साफ साफ़ उनसे झूठ बोल रहा है और कुछ छिपा रहा है क्योंकि वो महसूस कर पा रहे थे कि बोलते वक्त समीर के शब्द और उसके चेहरे के भाव साथ नहीं दे रहे थे ।

उन्होंने इस बात को अभी यहीं खत्म करते हुए कहा, “ठीक है... अपने निर्णय के बारे में एक बार फिर से सोचो । मैं तुम्हारा रेजिग्नेशन कल सुबह होने तक स्वीकार नहीं कर रहा हूँ ।”

“मेरा निर्णय नहीं बदलेगा ।” समीर अपने निर्णय पर पक्का था ।

अमोल अब भी उसे समझाने का यत्न कर रहे थे, “समीर, एक बार फिर से सोच लो । कम्पनी की पॉलिसी के हिसाब से रिजिग्नेशन एक बार स्वीकार होने के बाद रोल बेक नहीं होगा। इतनी अच्छी जॉब को इस तरह नहीं छोड़ते ।”

समीर ने जवाब दिया, “मुझे पता है सर। बहुत कुछ सोचकर ही ये निर्णय लिया है । प्लीज, इसे स्वीकार कर कल या परसों तक मुझे रिलीव कर दीजिए ”

“तुम्हारा इस्तीफा अगर स्वीकार होता भी है तो तुम्हें फौरन रिलीव करना संभव नहीं होगा । तुम्हें ३० दिनों का नोटिस पीरियड देना होगा । समीर की विनती सुनकर अमोल तुरंत बॉस के अंदाज में बोले ।

समीर के पास उनकी इस बात का भी जवाब तैयार था, “बट आय एम रेडी तो पे ऑफ ।”

अमोल के चेहरे पर अब परेशानी साफ झलक रही थी। वो उसे समझाते हुए बोले, “पे ऑफ और नोटिस पीरियड वेव ऑफ करने का फायनल डिसीजन मैनेजमेंट का होता है ।”
इस बार समीर ने अमोल की बात का जवाब पूरे आत्मविश्वास से देते हुए कहा, “मुझे पता है लेकिन मैं विनती तो कर ही सकता हूँ और मुझे ये भी अच्छी तरह से पता है कि डिपार्टमेंट हेड होने के नाते उस डिसीजन को अप्रूव करने या न करने का पहला हक आपका ही होता है।”

समीर का जवाब सुनकर अमोल थोड़े से परेशान हो गए लेकिन अपनी परेशानी छिपाते हुए वो बोले, “समीर, मैं तुम्हारी पे ऑफ रिक्वेस्ट चाहकर भी अप्रूव नहीं कर सकता । तुम्हारी यूनिट में अभी दो वेकेंसी ओपन है और जाकिर भी नोटिस पीरियड पर चल रहा है । तुम्हें इमीडिएट रिलीव करना संभव नहीं है ।”

“मामा प्लीज तुमी शोब कोरते पारो ।” समीर ने बंगाली में उन्हें कहा तो इस पर अमोल थोड़ा और परेशान होकर कड़े शब्दों में बोले, “समीर, इस वक्त मैं तुम्हारे मामा नहीं बल्कि तुम्हारे बॉस के रिलेशन से इस केबिन में बैठा हुआ हूँ । जो डिसीजन लूँगा वह ओर्गेनाइजेश के फेवर ।”

अमोल को गुस्सा होते देखकर समीर अब चुप था ।

अमोल कुछ देर चुप रहकर फिर अपनी जगह से खड़े होकर समीर के पास आये और उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर धीरे से बोले, “आय सस्पेक्ट …कुछ तो गलत हुआ है या हो रहा है तुम्हारी जिन्दगी में समीर ।”

समीर अपनी जगह से खड़ा हो गया और एक फीकी सी हंसी देकर बोला, “ऐसा कुछ नहीं है मामा । बस समझ लीजिए मेरा हिसाब किताब इस कम्पनी में यहाँ तक ही था।मैं अब होम सिक महसूस कर यहाँ अकेले रहकर ।”

ठीक है पर फिर भी मैं तुम्हें एक दिन का और समय देता हूँ । फिर से सोच लो इस बारें में । जल्दीबाजी में लिया गया फैसला कई बार गलत होता है।” अमोल ने समीर से कहा । वो अब भी समीर की बात से सहमत नहीं थे ।

कल भी मेरा ये ही निर्णय होगा।”अपनी बात कहकर समीर अमोल चक्रवती के केबिन से बाहर निकल गया ।

समीर के जाने के बाद अमोल चक्रवती उसके बारें में सोचने लगे । चार साल पहले वो समीर को अपने रेफरेंस पर इस कंपनी में लेकर आये थे । समीर उनकी कजिन रीना का एक मात्र लड़का था । कोलकाता में समीर की फायनेंसली के फैमिली की fफंक्शनल कंडीशंस त अच्छी नहीं थी । अमोल अच्छी तरह से जानते थे कि इस समय समीर ही अपनी फैमिली का कमाने लायक सदस्य था । समीर के पापा की छोटी सी पान की दुकान थी लेकिन l पिछले वर्ष उनको पेरालिसिस होने की वजह से उसे बंद करना पड़ा । समीर की मम्मी घर से टिफिन सर्विस चलाकर कर महीन दो से तीन हजार रुपये कर लेती थी । ऐसे में समीर का अचानक से जॉब छोड़ देने का निर्णय ले लेना अमोल चक्रवती की समझ से बाहर था लेकिन उनकी भी मोनोपोली थी कि रिटेन करने का ट्राई करने के बाद भी कोई कर्मचारी रेजिग्नेशन रोल बेक नहीं करता तो वो उसे ज्यादा फोर्स नहीं करते और उसे स्वीकार कर लेते । समीर से पारिवारिक रिश्ता होने के कारण वो जानबूझ कर इस फैसले को इस वक्त टालना चाहते थे ताकि वो समीर की कही गई बात की तह तक जा सके ।
परेशान से वो अपने केबिन में ही चक्कर लगाने लगे और फिर वापस अपनी जगह पर बैठकर कुछ सोचने लगे । थोड़ी देर के बाद उन्होंने रात को समीर की मम्मी से बात करने का फैसला लिया और इस वक्त समीर का इस्तीफा एक बार फिर से पढ़कर कुछ सोचते हुए उसे अपने अगले दिन की टू डू लिस्ट में डाल दिया ।

शेष अगले हफ्ते

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