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"सिरीज़ , 'नन्हीं मिनी 'की हसीन दुनिया 💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीबाल कहानी

"सिरीज़ , 'नन्हीं मिनी 'की हसीन दुनिया 💐💐

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  • 12 Min Read

बाल कथा
#शीर्षक
"हैप्पीनेस शॉप "
जब से मिनी दादी का घर छोड़ मुम्बई आई है। थोड़ी उदास रहती है। उसका दिल उसी गाँव वाले घर में रमा करता है। चाचू, बुबु सब याद आते हैं। वह अब नौ साल की हो चली है। बीच-बीच में दादी के घर जाती रहती है। कभी दादी ही उसके पास चली आती है।
अभी दो-चार दिन ही हुए हैं दादी को वापस गाँव वाले घर गये हुए।

उस दिन शाम में मिनी बॉलकनी में उदास बैठी थी। जब उसकी सहेली पिंकी की ममा रमोला आंटी आई हुईं है।
उसे उदास और विचारों में खोया देख कर ,
" क्या बात है मिनी ? बहुत चुपचुप सी हो।" कुछ भी ना बोल मिनी ने अपनी लम्बी पलकें झपका कर सर झुका लिया।
रमोला आंटी सब समझ गई। फिर उसके पास ही अपनी कुर्सी खींच कर बैठ उसके हाथ प्यार से थाम लिए,
" देखो मिनी अब तुम इतनी छोटी भी नहीं रही कि अपनी खुशी खुद में ना ढ़ूढ़ पिछली बातों में ही डूबी रहो"।
मिनी हैरान,
" तो मैं क्या करूँ आंटी ?"
"मैं बताऊँ ? तुम एक अपनी छोटी सी 'हैप्पीनेस शॉप ' खोल लो ",
" जिसमें तुम लोगों को खुशियां बांट सकोगी और एक मजेदार बात बताऊँ, तुम जितनी खुशी बांटोगी उससे दोगुनी खुशी तुम्हारे पास लौट कर आएगी "।
मिनी हैरान है , उसने कहा,
" आंटी इस तरह तो मैंने सोचा ही नहीं , लेकिन मैं कैसे हैप्पीनेस शॉप खोल सकती हूँ?"
"सच्ची , सुबह उठ जब मैं पौधों में पानी डालती हूँ तो पापा कितने खुश होते हैं ?"।
" लेकिन ये 'हैप्पीनेस शॉप ' वाली बात नहीं समझ पा रही हूँ",
"मैं खुशियां कैसे बेच ... क्या सब मुझसे लेंगे ? "
"बहुत आसान है मिनी, खुशी देने के कितने ही तरीके हैं ... मेरी बच्ची "
" तुम घर के काम में अपनी ममा की हेल्प कर सकती हो, कामवाली के बच्चों के साथ अपने पुराने खिलौने , किताबें और अपने चॉकलेट्स शेयर कर सकती हो"।
" सच में जानो जब तुम ऐसा करोगी तो देखना उन बच्चों की खुशी देख तुम्हें कितनी खुशी मिलेगी "
" शाम में जब खेलने जाती हो तो किसी लाचार अंकल-आंटी की मदद कर सकती हो"।
यह सब सुन कर मिनी को बहुत अच्छा लग रहा था। वह प्यार से रमोला आंटी के गले लग गई।
उसी दिन शाम में उसने प्ले एरिया में कबूतरों को दाना देते समय अपने साथ आस-पास के बच्चों को भी शामिल कर लिया।
जब सारे बच्चे मिल गये तब मिनी का चेहरा खुशी से दमकने लगा।
एक बुजुर्ग आंटी के हाथ से भारी थैला ले कर उन्हें लिफ्ट तक पंहुचा दिया। अब तो यह रोज की उसकी आदत बन गई है
सबकी सहायता कर उसे बहुत खुशी प्राप्त होती।
उसे खुश देख ममा पापा भी खुश होते और रमोला आंटी जब कभी घर आती तो मिनी की ममा से धीरे से कहती,
"अपनी मिनी की 'हैप्पीनेस शॉप' तो चल निकली "।
मिनी के चेहरे पर अब हर वक्त एक मीठी मुस्कान तैरती रहती है।

स्वरचित /सीमा वर्मा

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 2 years ago

लाजवाब खुशियों की दुकान

Apoorav Verma

Apoorav Verma 2 years ago

Wow

Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 2 years ago

Wah

दादी की परी
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