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कच्चे रास्ते (भाग १४) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग १४) साप्ताहिक धारावाहिक

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कच्चे रास्ते (भाग १४)

ऑफिस से आने के बाद समीर का पत्र एक बार फिर से पढ़कर और उसके बारें में सोचते हुए काव्या की नींद लग गई थी और जब सुबह ग्यारह बजे के लगभग उसकी नींद खुली तो उसके मन में पहला ख्याल समीर से बात करने का ही आया । उसने बिस्तर पर लेटे-लेटे तकिये के नीचे से अपना मोबाइल उठाया और समीर का नम्बर डॉयल किया । समीर अभी बिस्तर पर ही था । थोड़ी देर पहले अनय से कॉल पर बात कर वो अलसाया हुआ सा पड़ा था । आज गुड फ्राई डे की छुट्टी थी और वो इस वक्त बिस्तर छोड़ने के मूड में नहीं था । रात को पी रखी रेड वाइन का नशा अभी भी उसकी आँखों में था लेकिन पहले अनय और फिर काव्या का कॉल आने से वो हैरान होकर बैठ गया ।

“गुड मोर्निंग काव्या । कल की इन्सल्ट के बाद अब भी कुछ कहने को बाकी रह गया है क्या ?” समीर की आवाज में अभी भी नशे वाली नींद की खुमारी थी ।

काव्या समीर से मिलकर उससे बात करना चाहती थी इसी से वो बोली, “मैं कल के व्यवहार के लिए माफी चाहती हूँ । मैं तुमसे मिलकर कुछ जरूरी बात करना चाहती हूँ ।”

काव्या की बात सुनकर समीर एक बार फिर से चौंक गया । अभी कुछ देर पहले ही अनय ने कॉल कर उसे दोपहर तीन बजे शिवाजी पार्क के पीछे वर्षो से वीरान पड़ी प्रिया टॉकीज के कम्पाउंड में मिलने को बुलाया और अब काव्या के मुँह से भी उसे मिलने की बात सुनकर उसे बड़ी हैरानी हो रही थी । काव्या के लिए उसके दिल में अभी भी एक सॉफ्ट कार्नर था । वो उसे मना नहीं कर पाया और बोला, “ठीक है । शाम को चार बजे शिवाजी पार्क के पीछे प्रिया टॉकीज के कम्पाउंड में मिलते है।”

समीर का जवाब सुनकर काव्या ने प्रिया टॉकीज के कम्पाउंड में मिलने से एतराज जताते हुए कहा, “प्रिया टॉकीज इज आइसोलेट प्लेस । किसी पब्लिक प्लेस पर कहीं और मिलते है।”

इस पर समीर ने अपनी बात रखी और बोला, “मुझे उस तरफ कुछ काम है । मुझ पर इतना तो विश्वास करो । कोई रेप वैप नहीं कर लूँगा तुम्हारा ।”

काव्या को समीर की भद्दी सी हँसी फोन पर सुनाई दी । काव्या को ये तो पता ही था कि समीर बोलने में बड़ा ही रफ है और बात करते वक्त उसके मुँह में जो आता है बोल देता है । उसे उसका जवाब सुनकर गुस्सा तो आया लेकिन फिर वो अपने पर काबू रखकर बोली, “शटअप समीर । किसी लड़की से बात करते वक्त अपनी लैंग्वेज का तो ख्याल करो ।
जो मुँह में आता है बक देते हो।”

समीर एक बार फिर से धीरे से हँसा और बोला, “तुम कोई गैर थोड़े ही हो । दरअसल चार बजे के लगभग मैं शिवाजी पार्क की तरफ ही हूँ । उधर से सिटी एरिया दूर है तो मेरे लिए आना संभव नहीं होगा । तुम्हें आज ही मिलना है तो यही एक च्वाइस है वरना फिर बाद में ऑफिस तो है ही।”

काव्या जल्दी से जल्दी समीर से मिलकर सारे कन्फ्यूजन दूर कर लेना चाहती थी । वो तुरंत बोली, “ठीक है । लेकिन चार से ज्यादा लेट मत करना।”

समीर ने ओके कहा और काव्या ने तुरन्त ही कॉल कट कर दी । समीर ने अपने पैरों के पास पड़ी चादर खिंचकर वापस सो गया ।

समीर से बात करने के बाद काव्या का मन बेचैन था । वो अब अनय के बारें में सोच रही थी । अनय समीर के साथ क्या करने वाला है यह सोचकर परेशान हो रही थी । उसे यकीन था कि अनय एक बार जो कह देता है उस पर जल्दी ही अमल भी कर देता है । समीर से बात करने के बाद उसने अनय को फोन लगाया ।

“गुड मोर्निग काव्या ! क्या बात है ! आज कोई खास प्रोग्राम बनाया है क्या मिलने का ?” अनय ने कॉल कनेक्ट होते ही उत्साह से पूछा ।

इस पर काव्या बोली, “नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है । तुमने मुझे ये नहीं बताया कि तुम समीर से जाकर कब और क्या बात करने वाले हो ?”

अनयकाव्या की सवाल सुनकर हँस दिया। वो किचन में ब्रश करते हुए अपने लिए कॉफ़ी बना रहा था । उसने सिंक के पास अपना टूथ ब्रश रखा और मुँह से टूथपेस्ट का झाग थूकने के बाद काव्या से बोला, “तो तुम अभी भी कल वाली बात के बारें में ही सोच रही हो. डोंट वरी समीर वाला मैटर मैं हैंडल कर लूँगा । आज के बाद वो कभी तुम्हारी तरफ आँख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं करेगा।”

काव्या ने सवाल किया, “तो तुम उससे आज ही मिलने वाले हो ?”

अनय ने कॉफ़ी बन जाने के बाद गैस बंद करते हुए जवाब दिया, “हाँ।”

अनय का जवाब सुनकर काव्या परेशान हो गई। उसने आगे पूछा , “कब और कहाँ ?”

“कब और कहाँ मिलूँगा ये अभी तय नहीं किया है । वैसे तुम्हें ये सब जानने की जरूरत भी नहीं है ।” अनय बड़ी चालाकी से काव्या से समीर से दोपहर को तीन बजे प्रिया टॉकीज के कम्पाउंड में मिलने की अपनी बात छिपा ली । उसे अच्छी तरह पता था कि इस बारें में काव्या को थोड़ी सी भी भनक पड़ गई तो वो उसके साथ चलने की जिद करेगी और वो उसे मना नहीं कर पाएगा ।

अनय का जवाब सुनकर वो निराश होकर बोली, “ठीक है लेकिन उससे कोई झगड़ा मत करना।”

अनय काव्या के दिल में अपने लिए हो रही चिन्ता को समझ गया और बोला, “डोंट वरी । ऐसा कुछ नहीं होगा ।”

अनय का जवाब सुनकर काव्या को राहत हुई और उससे थोड़ी देर और बातें कर फिर फोन कट कर दिया ।

शाम को ठीक तीन बजकर पाँच मिनिट को अनय प्रिया टॉकीज के कम्पाउंड के बाहर खड़ा था । उसने कल ऑफिस में पहन रखे कपड़े आज भी रिपीट किए थे । छह महीने पहले अपने जन्मदिन पर काव्या की गिफ्ट की हुई जींस और टी-शर्ट की जोड़ी अब उसकी खास जोड़ी थी और अक्सर वो यही कपड़े पहन कर घूमता था ।

समीर अभी तक नहीं आया था । उसका इन्तजार करते हुए उसने एक समय में अपने गोल्डन पीरियड में रही प्रिया टॉकीज की बिल्डिंग पर नजर डाली । मल्टीफ्लेक्स कल्चर के आने से पिछले चार सालों से प्रिया टॉकीज बंद पड़ी हुई थी और बिल्डिंग की देखभाल न होने से प्रिया टॉकीज अब एक खंडहर का आभास दे रही थी । वैसे अनय जब से इस शहर में आया तब से प्रिया टॉकीज के इसी खंडहर वाले रूप को देखता आया था । काव्या ने ही बातों बातों में प्रिया टॉकीज के सुनहरे दिनों के बारें में अनय को बताया था ।

अनय अपनी कलाई घड़ी पर नजर डाल ही रहा था कि तभी उसे समीर आता हुआ दिखाई दिया । समीर के पास आते ही अनय टूटे हुए कम्पाउंड गेट से समीर के साथ कम्पाउंड के अन्दर दाखिल हो गया ।

अनय पीपल के पेड़ के पास पड़े एक बड़े से पत्थर पर अपना दायाँ पैर रखकर खड़ा हो गया और समीर से बोला, “मुझे आश्चर्य हो रहा है । तुमने फोन पर एक बार भी इस आइसोलेटेट प्लेस पर अचानक मिलने का कारण नहीं पूछा।”

समीर पीपल के तने का सहारा लेकर आराम से खड़ा था । अनय की बात सुनकर वो हँस दिया और बोला, “यार ! तुम कोई अजनबी थोड़े ही हो । कल वाला मैटर काव्या ने तुम्हें बताया होगा । उसी बारे में बात करनी है ना ?”

अनय समीर का जवाब सुनकर उसकी तारीफ करते हुए बोला, “स्मार्ट हो।”

“वो तो हूँ ही । बात क्या है जल्दी से कहो । मैंने चार बजे किसी और को भी वक्त दे रखा है।” समीर ने मुस्कुराकर अनय को फटाफट बात पूरी करने के लिए कहा ।

अब अनय समीर के बहुत ही पास आ गया और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला, “समीर, मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है लेकिन तुम काव्या को बार बार परेशान कर रहे हो न ये ठीक बात नहीं है। यहाँ तुमसे केवल एक रिक्वेस्ट करने ही आया हूँ । काव्या और मैं एक दूसरे से प्यार करते हैं सो प्लीज हम दोनों के बीच आने की कोशिश मत करो ।”

अनय की बात पर समीर अब जोर से हँस दिया और अपने दोनों हाथ उसके कंधे पर रखकर बोला, “मेरे रास्ते का काँटा तो तुम बनकर आये हो दोस्त ! काव्या मेरा पहला प्यार है और इन्सान अपना पहला प्यार कभी नहीं भूल पाता।”

अनय ने समीर के हाथ अपने कंधे से हटाते हुए बोला, “काव्या तुम्हारे प्यार में कभी थी ही नहीं ।”

अनय की बात सुनकर समीर ने बड़े ही हल्के अंदाज में कहा, “वो ही तो कह रहा हूँ । तुम अगर हम दोनों के बीच नहीं आते तो वो पट जाती। बड़ी कमीनी चीज है वो ।”

समीर की बात सुनकर अनय ने गुस्से अपने दोनों हाथों की मुट्ठियाँ भींच ली । वो अब समीर के व्यवहार को और ज्यादा सहन नहीं कर पा रहा था ।

शेष अगले हफ्ते

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