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ये उदास-उदास सी आँखे - सोभित ठाकरे (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

ये उदास-उदास सी आँखे

  • 300
  • 3 Min Read

ये उदास -उदास सी आँखे
कभी चंचल -चपल मृगनयनी समान थीं
गहराई के बादलों सेआज घिरी हुई
कल तक तो प्रसन्नता से भरी हुई थीं
टूटे ख़्वाबों का बोझ तले सिसकती हुई
कल तक जो सुनहरी आभा से सराबोर थीं
उन्हें इनकी उदासी की आहट नही हुई
कल जिन्हें कहानियां इनकी जुबानी याद थीं
एक नीरसता भर झलकती है इनमें
जो इंद्रधनुष के नवरंग समेटे रहती थीं
अब बुझी -बुझी जान पड़ती है
कल तक जिनमें ख़ुमारी सी छाई रहती थी
क्या कुछ हुआ है इन्हें ,क्यों तन्हा नीर बहाती है
कल तक जो हँसी के लिए जानी जाती थीं
~सोभित ठाकरे

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर

सोभित ठाकरे3 years ago

धन्यवाद सर

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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