कविताअन्य
#शीर्षकः
" चंद्रमा "
थाली की रोटी सा गोल-गोल चंदा।
गलियों में घूमें, यों ही आवारा सा।।
तेरी बातों का लिए स्वाद जुंवा पर
यह बारिशों का मौसम,भीगी ख्वाहिशें।
तेरे आने की खुशबू से संवरे हुए हालात।
ज्यों दिल तक पंहुचे, दिल के जज्बात।।
साथ बना रहे यों ही हरदम तेरा-मेरा।
कुछ बातें होती रहे, यूँ ही दिन-रात।।
सीमा वर्मा