Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
राधा की पायल बोल उठी - Sudhir Kumar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

राधा की पायल बोल उठी

  • 231
  • 3 Min Read

राधा की पायल बोल उठी
मन के भेदों को खोल उठी
आकर मोहन की मुरली में
अद्भुत सा रस घोल उठी

मोहन-मन के वृंदावन में
शीतल बयार सी बह गई
चैतन्यपुरुष की चेतना
यूँ भौचक्की सी रह गई

यूँ ढाई अक्षर में समेटकर
कौन कब क्या बोल गया
जगद्गुरु योगीश्वर के
मन का पद्मासन डोल गया

माया ने उसको भरमाया?
या वह खुद माया बनकर आया?
वह कृष्ण जटिल सा प्रश्न 
बनकर ऐसा  जनमानस पर छाया

उस मायापति की यह माया
उस परमसत्य से प्रकटी छाया
शुक, शारद, सनक या नारद
कोई अब तक समझ न पाया

द्वारा : सुधीर अधीर

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg