कविताअतुकांत कविता
राखी स्पेशल 💐💐
#शीर्षकः
" सुनो भाई "
सुनो भाई...
रात के अंतिम
पहर भी कुछ पंक्षी
चहचहाते हैं और आनेवाली
रुपहली भोर की सोच गुनगनाते
हैं। तो हम भी क्यों ना कुछ अच्छा
सोचे।
भाई...
मैं तुम्हें माँ
की तरह याद करती
हूँ माँ की तरह जो जा बसी
सितारों में एक व्याकुल, बेचैन
उम्मीद की तरह हमारा घर नहीं ,
हमारी निगाहो की जद में तो क्या
हुआ? हमारा साथ तो है अप्रतिम।
सीमा वर्मा।