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कच्चे रास्ते (भाग १५ ) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग १५ ) साप्ताहिक धारावाहिक

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भाग १५ (कच्चे रास्ते)

समीर को काव्या के लिए बहुत ही हल्के शब्द उपयोग करते देखकर अनयका गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था । उसने समीर की तरफ अपने सीधे हाथ की उंगली उसे दिखाते हुए जोर से कहा, “समीर ! काव्या के बारे में ऐसे घटिया शब्द इस्तेमाल करते हुए तुम्हें सौ बार सोचना चाहिए।”

अनय के ऐसा कहने पर समीर को भी गुस्सा आ गया और वो अनय का हाथ नीचे करते हुए भारी आवाज में अनय को धमकी देते हुए बोला, “मुझे कब क्या बोलना चाहिए ये सब तुम्हें सिखाने की जरूरत नहीं है । साला ! सेकेण्ड हैण्ड माल उपयोग करके मेरे सामने भाव खाता है।”

अनय अब बिल्कुल भी समीर के कहे शब्दों को सहन नहीं कर पाया और अपने हाथ की उँगलियाँ मोड़कर उसे मुक्का मारने को आगे बढ़ा लेकिन तभी समीर ने उसके हाथ को पकड़ लिया और बोला, “साले । काव्या पर पहला हक मेरा था जो तूने छीन लिया लेकिन काव्या भी कोई सती सावित्री नहीं है । वो हम दोनों के साथ खेल रही है।’

अनय ने गुस्से से अपना हाथ समीर की पकड़ से छुड़ाया और बोला, “अपना मुँह बंद रखो समीर । जो मन में आ रहा है बोले जा रहे हो ।”

अनय की बात सुनकर समीर अब ताली बजाकर जोर से हँस दिया । पीपल के पेड़ के नीचे रखे पत्थर पर बैठते हुए वो बोला, “ये जो कपड़े पहन रखे है ना तुमने । पहले मेरे पहने हुए है फिर तुम्हारे पास आये है । इसे तुम्हें गिफ्ट करने के नाम पर पहले उसने मुझे बेवकूफ बनाया और आज अब तुम्हें बेवकूफ बनाने जा रही है। अब कहो कि तुम सेकेण्ड हैण्ड माल उपयोग नहीं कर रहे हो । गर्ल फ्रेण्ड तो ठीक कपड़े तक तुम्हारे सेकेण्ड हैण्ड है ।”

समीर की बात सुनकर अनय का गुस्से से उबल पड़ा । अपने लिए उसे इस तरह के शब्द उपयोग करते सुन उसका खून खौलने लगा । उसने इस बार समीर की कोलर पकड़कर उसे खड़ा किया और तेज आवाज में बोला, “अपनी जबान पर कंट्रोल करो वरना तुम्हें यहीं जिन्दा गाड़ दूँगा ।”

“हिम्मत हो तो मार डालो । किसने रोका है। लेकिन मुझे मार डालने से तुम पर लगा ये सेकेण्ड हैण्ड का ठप्पा मिट नहीं जाएगा ।” समीर ने दबंगगिरी बताते हुए अनय को पीछे धकेल दिया ।

अनय अपने को गिरने से सम्हालता हुआ अपना बैलेंस बनाते हुए ठीक से खड़ा हुआ और फिर समीर को समझाते हुए बोला, “समीर, मैं आखरी बार कह रहा हूँ । मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है । तुम अपना जीवन साथी पसंद कर चुके हो तो उसके लिए ही वफादार रहो । काव्या और मुझे शान्ति से जीने दो । इसी में हम सब की भलाई है ।”

अनय को ढीला पड़ते देखकर समीर ने भी उसे धीमे से कहा, “दुश्मनी तो मेरी भी तुमसे नहीं है लेकिन मैं तुम्हें ये समझा रहा हूँ कि काव्या तुम्हारे साथ भी खेल रही है । कल को ऑफिस में तुमसे ज्यादा हैंडसम और चिकना लड़का आएगा तो वो उसकी हो जाएगी।”

अनय अब समीर की काव्या को लेकर कही जा रही हल्की बातें सुनकर और ज्यादा गुस्सा हो रहा था । उसे समीर को लेकर काव्या के मन में रही खराब भावना का अहसास अब हो रहा था । अनय ने अब समीर को धमकी देते हुए कहा, “तुम अपनी हरकतों से अगर अब बाज नहीं आये तो मैं पुलिस कम्प्लेन कर दूँगा। लड़की को छेड़ने के केस में अन्दर
चले जाओगे ।”

“पुलिस तक जाने की नौबत नहीं आएगी अनय । काव्या का असली चेहरा जल्दी ही तुम्हारे सामने आ जाएगा । तुम्हारी दिल अजीज काव्या ने मुझे अँधेरे में रखकर तुम्हारे लिए ये जींस और टी शर्ट मेरी पसंद पर खरीदी, उन्हें मुझसे ट्रायल करवाया और गिफ्ट तुम्हें कर दी । उस वक्त मैं तो बेवकूफ बन गया लेकिन अब आज वो तुमको भी बेवकूफ बना रही है । विश्वास नहीं होता तो थोड़ी देर यहाँ कहीं छिपकर रुको। ठीक चार बजे काव्या यहाँ मुझसे मिलने आएगी।” समीर की आवाज में पूरा आत्मविश्वास था ।

अनय को समीर की बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन वो पता करना चाहता कि आखिर समीर काव्या को लेकर कौन सा खेल खेल रहा है और अगर काव्या यहाँ आ भी रही है तो किस विश्वास पर समीर से मिलने इस सुनसान जगह पर आ रही है । उसने समीर से कहा, “ये सब तुम्हारी कोई गिरी हुई चाल है । तुमने उसे क्यों यहाँ सुनसान जगह पर बुलाया ?”

समीर अब अनय की बात सुनकर जोर से हँसा और बोला, “मैंने नहीं बुलाया वो खुद ही मुझसे मिलने आ रही है । शायद अब उसका मन तुमसे भर गया है ।”

“तुम सच में बहुत ही गिरे हुए इंसान हो ।” अनय कहते हुए समीर की तरफ आगे बढ़ा लेकिन फिर कम्पाऊड के बाहर किसी व्हीकल के आने की आहट सुनकर उसकी नजरें टॉकीज के गेट की तरफ गई और उसे काव्या की एक झलक दिखाई दी । अनय अब काव्या को लेकर और ज्यादा आंशकित हो उठा । काव्या अगर सच में समीर से मिलने आ रही है तो समीर कहीं उसके संग गलत न करे इस बात के डर से वो फुर्ती से पीपल के पेड़ से सीधे जाकर कुछ ही दूरी पर टॉकीज की टूटी हुई दीवार के पीछे छिप गया । तब तक समीर आगे बढ़कर कंपाउंड के गेट तक आ गया ।

काव्या पांच मिनिट पहले ही वहाँ पहुँच गई । समीर को समय पर आया हुआ पाकर उसने अपनी स्कूटी कंपाउड गेट के बाहर पार्क कर उसकी तरफ आते हुए मुस्कुरा दी । समीर ने आगे बढ़कर जेंटलमैन की तरह उसे कंपाउड गेट से अंदर आने को रास्ता दिया और फिर उसके साथ पीपल के पेड़ की तरफ जाने लगा ।

“वहाँ जाकर बैठते है।” समीर ने पीपल के पेड़ के पास रखे पत्थर की तरफ इशारा करते हुए कहा । काव्या कोई जवाब दिए बिना उसके साथ आगे बढ़ गई ।

काव्या पत्थर पर जाकर थोड़ी देर चुपचाप बैठी रही । समीर उससे कुछ दूरी बनाकर उसके पास उसी पत्थर पर बैठ गया । अनय दीवार की सुराखों के पीछे से उन दोनों को आसानी से देख पा रहा था । वो समझ नहीं पा रहा था कि काव्या आखिर समीर से मिलने यहाँ सुनसान जगह पर क्यों आई है ? कल तक तो वो समीर का चेहरा तक नहीं देखना चाहती थी ।

तभी अनय के कानों से काव्या की मीठी सी आवाज सुनाई दी, “समीर, आई एम रियली वेरी सॉरी । मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ नहीं सकी और तुम्हें हर्ट किया।”
अनय बड़ी तल्लीनता से उन दोनों के बीच होती बात सुनने का प्रयास कर रहा था ।

टॉकीज का चारों का वातावरण शांत था । अनयकाव्या और समीर से इतना दूर भी नहीं था कि उनकी बातें न सुन सके । काव्या ने अभी जो कुछ समीर से कहा वो अनय को साफ-साफ सुनाई दिया । काव्या की बात सुनकर अनय को कुछ देर पहले समीर की कही बातों में तथ्य नजर आने लगा ।

तभी उसका ध्यान समीर की आवाज पर गया। समीर काव्या से कह रहा था, “इट्स ओके बेबी ! आखिर तुम्हें समझ तो आया कि मैं गलत नहीं था ।”

काव्या अब बोल रही थी , “उस दिन गलती मेरी ही थी । अनय के लिए शोपिंग करते वक्त मुझे तुम्हें पहले से ही सबकुछ बता देना चाहिए था ….”

काव्या ने अभी अपनी बात पूरी भी नहीं कि थी समीर ने उसका हाथ थाम लिया । काव्या ने तुरन्त ही अपना हाथ उसकी पकड़ से पीछे खींच लिया । अनय ने काव्या की ये प्रतिक्रिया नोटिस की । काव्या आगे बोली, “समीर, इसका मतलब ये नहीं है कि मैं तुम्हारे सामने कोई अफ़सोस व्यक्त करने आई हूँ । मैं तो तुम्हें केवल ये ही कहने आई हूँ कि तुमने मुझे लेकर जो गलतफहमी पाल रखी थी उसमें कहीं न कहीं गलती मेरी भी थी और आज तुमसे बातकर इस बात को मैं यहीं खत्म कर देना चाहती हूँ ।”

काव्या की बात सुनकर समीर का मन खारा हो गया । वो अपनी जगह से खड़ा हो गया और बोला, “मुझे ये कहने के लिए तुम्हें मेरा वक्त बर्बाद करना था तो यहाँ तक आने की क्या जरूरत थी । फोन पर ही कह दिया होता ।”

अनय दोनों के बीच होती बातचीत को अब भी दीवार के पीछे बैठा चुपचाप सुन रहा था । तभी अचानक से काव्या अपनी जगह से खड़ी हुई और बोली, “नहीं समीर, मेरा विश्वास करो । अनय के मेरी जिन्दगी में आने से पहले तुम्हारे लिए मेरे मन में सॉफ्ट फीलिंग थी लेकिन उस वक्त मैंने कभी उस और ध्यान ही नहीं दिया कि इस तरह की भावना प्यार वाली भावना भी हो सकती है...आई स्टील लव यू …”

“तुमने इस बात का इकरार कर लिया मेरे लिए ये बहुत है काव्या । अब तक जो कुछ हुआ उसका मुझे कोई गिला शिकवा नहीं लेकिन तुम कहीं अनय और मेरे साथ कोई खेल तो नहीं खेल रही हो ?” काव्या की बात पूरी होने से पहले ही समीर ने उसके करीब आकर कहा ।


काव्या समीर की बात का जवाब देते हुए बोली, “नहीं समीर । मेरी बात का विश्वास करो। आई लव यू …”

शेष अगले हफ्ते

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दादी की परी
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